वाराणसी: श्रावण मास के अधिमास के अवसर पर, Gyanvapi में स्थित आदिविश्वेश्वर मंदिर की तत्काल पूजा-अर्चना और राग-भोग के अधिकार को लेकर एक नया वाद दाखिल किया गया है। यह वाद ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शिष्य व आदिविश्वेश्वर डोली रथयात्रा के राष्ट्रीय प्रभारी शैलेंद्र योगीराज सरकार की तरफ से दाखिल किया गया है।
सनातन धर्म के प्रमुख वादी शैलेंद्र योगीराज सरकार के अधिवक्ता डॉ. एसके द्विवेदी बच्चा ने वाद में कहा कि श्रावण मास के अधिमास में ज्ञानवापी परिसर में साक्षात शिवलिंग प्रकट होता है और इस मास के अवसर पर सनातन धर्म का पालन करने वाले लोग मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते हैं। इसलिए, आदिविश्वेश्वर की तत्काल पूजा-अर्चना और राग-भोग का अधिकार उन्हें तुरंत प्रदान किया जाना चाहिए।
उनके विपक्षी महेंद्र पांडेय द्वारा वाद का विरोध किया गया और उन्होंने कहा कि इस वाद के अनुरोध को खारिज कर दिया जाना चाहिए।
सिविल जज सीनियर डिवीजन शिखा यादव ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद वादी को पक्षकारों को नोटिस देने की समय सीमा में छूट देने के अनुरोध को स्वीकार किया और वाद को मूलवाद के रूप में पंजीकृत करने के बाद सुनवाई के लिए पांच अगस्त को तय किया। इस वाद में स्टेट ऑफ यूपी और अन्य को पक्षकार बनाया गया है।
ज्ञानवापी में स्थित आदिविश्वेश्वर मंदिर, जिसे वाराणसी के मुख्य धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है, इस वाद के बारे में विवाद चल रहा है। इसलिए, पांच अगस्त को होने वाली सुनवाई का बड़ा महत्व है जो वहां के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रासंगिकता रखती है।