यह कहना मुश्किल है कि गोपाल शर्मा गहलोत सरकार के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को दे पाएंगे मात या नहीं। दोनों ही उम्मीदवारों के अपने-अपने मजबूत पक्ष हैं।
गोपाल शर्मा एक जाने-माने पत्रकार हैं और उनके पास क्षेत्र की अच्छी समझ है। वे पिछले कई सालों से भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का भी समर्थन प्राप्त है। इसके अलावा, इस बार बीजेपी ने पूरे प्रदेश में एक मजबूत अभियान चलाया है, जिससे गोपाल शर्मा को फायदा मिल सकता है।
वहीं, प्रताप सिंह खाचरियावास एक अनुभवी नेता हैं और वे इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। वे गहलोत सरकार में मंत्री भी हैं और उनके पास सरकार की पूरी ताकत है। इसके अलावा, इस सीट पर कांग्रेस का एक मजबूत जनाधार है।
कुल मिलाकर, यह कहना मुश्किल है कि इस चुनाव में कौन जीतेगा। यह चुनाव क्षेत्र की जनता के मूड पर निर्भर करेगा। अगर जनता बदलाव चाहती है, तो गोपाल शर्मा को जीत मिलने की संभावना है। लेकिन अगर जनता मौजूदा सरकार को बरकरार रखना चाहती है, तो प्रताप सिंह खाचरियावास को जीत मिलने की संभावना है।
हालांकि, यह भी ध्यान देने वाली बात है कि इस बार भाजपा ने सिविल लाइंस सीट पर नए चेहरे पर दांव लगाया है। यह एक साहसिक फैसला है, जो भाजपा के लिए फायदेमंद भी हो सकता है और नुकसानदेह भी। अगर गोपाल शर्मा चुनाव जीतते हैं, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ी जीत होगी और यह दिखाएगा कि भाजपा में नए चेहरे भी चुनाव जीत सकते हैं।