जयपुर : साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बेटे वैभव को जोधपुर संसदीय सीट से कांग्रेस का टिकट दिलाया था. लेकिन गहलोत अपने बेटे को जिताने में नाकाम रहे. बीजेपी के गजेंद्र सिंह शेखावत ने वैभव गहलोत को दो लाख से ज़्यादा वोट से हराया. उस चुनाव में राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी.
इसके बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी की हार का ठीकरा अपने बेटों को चुनाव लड़वाने वाले मुख्यमंत्रियों पर फोड़ा था. इनमें से एक थे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत. सबसे ज़्यादा सवाल अशोक गहलोत पर ही उठे.
अशोक गहलोत पर ये आरोप भी लगे कि उन्होंने बेटे को जिताने के लिए सारा ध्यान जोधपुर पर ही लगाया. इसलिए सभी सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है और जोधपुर सीट पर कांग्रेस बुरी तरह से हार गई.
2023 में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की और अशोक गहलोत दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. लेकिन 2019 के चुनाव में बेटे को टिकट दिलाने के कारण उठे सवाल अब भी उनके सिर पर मंडरा रहे हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 2019 के चुनाव में अशोक गहलोत की गलती थी कि उन्होंने बेटे को टिकट दिलाया. इससे पार्टी के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी पैदा हुई. इसके अलावा, बीजेपी ने भी इस मुद्दे को कांग्रेस के खिलाफ इस्तेमाल किया.
अशोक गहलोत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उन्होंने कहा कि उन्होंने पार्टी की हार के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन उनके बेटे को टिकट देने से पार्टी की हार नहीं हुई.
हालांकि, 2019 के चुनाव में बेटे को टिकट दिलाने के कारण अशोक गहलोत को कांग्रेस के अंदर और बाहर दोनों जगह से आलोचना का सामना करना पड़ा. यह देखना बाकी है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में अशोक गहलोत इस मुद्दे से निपटने में कितने सफल होते हैं.