Modi-Vasundhara Raje Relation : राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अभी तक मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है। इस बीच, वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाने के फैसले को लेकर पार्टी के अंदरखाने में खलबली मची हुई है। वसुंधरा राजे ने इस फैसले पर नाराजगी जताई है और कहा है कि उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाना चाहिए।
इस बीच, राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मोदी और वसुंधरा के रिश्तों में खटास के पीछे कई कारण हैं। इनमें से एक कारण 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजे हैं। बीजेपी अपने दम पर सत्ता में आई थी और हर तरफ मोदी-मोदी हो रहा था। बीजेपी का हर नेता जीत का सेहरा मोदी के सिर बांध रहा था, लेकिन तब वसुंधरा राजे ने बीजेपी की जीत को सामूहिक मेहनत बताया था। बताया जाता है कि वसुंधरा राजे मोदी मंत्रिमंडल में राजस्थान के नेता विशेष को शामिल किए जाने और नेता विशेष को शामिल नहीं किए जाने को लेकर नाराज थीं। मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण के समय वसुंधरा दिल्ली के बीकानेर हाउस में राज्य के अपने समर्थक सांसदों के साथ बैठी रहीं और मोदी पर दबाव डालने की कोशिश की। सियासी गलियारों में चर्चा है कि इन दो घटनाओं के चलते मोदी और वसुंधरा के बीच अहम का टकराव बढ़ गया।
एक अन्य कारण यह है कि वसुंधरा राजे को लगता है कि उन्हें पार्टी में पर्याप्त सम्मान नहीं मिल रहा है। उन्हें लगता है कि भाजपा आलाकमान उन्हें एक हाशिए पर धकेल रहा है। वसुंधरा राजे को लगता है कि उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाना चाहिए, लेकिन आलाकमान उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त नहीं मानता है।
तीसरा कारण यह है कि वसुंधरा राजे और भाजपा आलाकमान के बीच विचारधारा का अंतर है। वसुंधरा राजे को लगता है कि भाजपा आलाकमान पार्टी को केंद्र की ओर ले जा रहा है, जबकि वे पार्टी को राज्यों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाना चाहती हैं।
क्या बीजेपी आलाकमान को अब वसुंधरा की जरूरत नहीं है?
बीजेपी का आंतरिक सर्वे बता रहा है कि बिना वसुंधरा के भी बीजेपी विधानसभा चुनाव जीत रही है। बीजेपी के कुछ नेताओं का कहना है कि वसुंधरा को मुख्यमंत्री चेहरा बनाया जाता है तो बीजेपी को 130 से ज्यादा सीटें मिल सकती हैं और बिना वसुंधरा के बीजेपी 110 सीटों तक तो पहुंच ही जाएगी। राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं और बहुमत के लिए 101 सीटें चाहिए।
क्या वसुंधरा राजे बीजेपी छोड़ेंगी?
कुछ जानकारों का कहना है कि अब बात इतनी आगे बढ़ चुकी है कि अगर अब वसुंधरा को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया गया तो पार्टी को ज्यादा नुकसान हो सकता है। सीएम फेस घोषित नहीं करने पर कम नुकसान होगा। आलाकमान को लगता है कि वसुंधरा राजे की मांग मानने पर मुख्यमंत्री की रेस में शामिल एक दर्जन नेताओं की सामूहिक नाराजगी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है। कुलमिलाकर सूत्रों का कहना है कि गेंद वसुंधरा राजे के पाले में है। उधर वसुंधरा खेमे का कहना है कि गेंद आलाकमान के पाले में उछाली जा चुकी है।
वसुंधरा राजे के करीबी सूत्रों का कहना है कि वसुंधरा राजे बीजेपी छोड़ने का कोई विचार नहीं कर रही हैं। वे पार्टी के अंदर ही संघर्ष जारी रखने की इच्छा रखती हैं। हालांकि, अगर आलाकमान उनकी मांगों को नहीं मानता है तो वे किसी बड़ा कदम उठा सकती हैं।