Jaipur : शहरों में बढ़ता प्रदूषण और घुटन भरी हवा आज हर नागरिक के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है। आए दिन हम ज़हरीली हवा से प्रभावित होते जा रहे हैं, और इसका एक बड़ा कारण शहरों के बीच बसे पुराने इंडस्ट्रियल इलाके हैं। सवाल उठता है कि इन क्षेत्रों को शहरी आबादी के बीच किसने बसाया, और अब जब प्रदूषण की स्थिति नियंत्रण से बाहर होती जा रही है, तो इसके लिए आखिर जिम्मेदार कौन है?
इंडस्ट्रियल इलाकों की भूमिका
पुराने इंडस्ट्रियल इलाके शहरों की घनी आबादी के बीच हैं, जहां इन फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं, केमिकल वेस्ट और अन्य प्रदूषणकारी तत्व वहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। भीड़भाड़ वाले इन इलाकों में न सिर्फ ट्रैफिक की समस्या बढ़ रही है, बल्कि लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में भी मुश्किलें हो रही हैं।
प्रशासन की लापरवाही या जानबूझकर नजरअंदाज?
यह सवाल अब हर शहरी निवासी के मन में गूंज रहा है कि प्रशासन इस समस्या पर कब ध्यान देगा। सालों से इन इंडस्ट्रियल इलाकों के कारण शहरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
सुनील दत्त गोयल ने उठाई आवाज़
इस गंभीर मुद्दे को लेकर सुनील दत्त गोयल, इंपिरियल चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के महानिदेशक, ने अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा, “शहरों के बीच बसे इंडस्ट्रियल इलाकों को हटाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। अगर जल्द ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।”
कौन है जिम्मेदार?
इंडस्ट्रियल इलाकों को शहरों के भीतर बसाने और फिर सालों तक इन्हें यहां बनाए रखने का जिम्मेदार आखिर कौन है? सरकारें इस मुद्दे पर क्यूं खामोश हैं? क्या प्रशासन जानबूझकर इसे नजरअंदाज कर रहा है, या इसके पीछे कोई और वजह है? इन सवालों का जवाब जनता अब चाहती है, ताकि शहरों को इस ज़हरीली हवा और भीड़भाड़ से मुक्ति मिल सके।
सरकार को उठाने होंगे ठोस कदम
अब वक्त आ गया है कि सरकार इस समस्या पर गंभीरता से ध्यान दे और पुराने इंडस्ट्रियल इलाकों को शहरों से बाहर स्थानांतरित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए। अगर जल्द ही इसका समाधान नहीं निकाला गया, तो शहरों में प्रदूषण का ग्राफ और भी बढ़ेगा, जिससे न केवल पर्यावरण बल्कि आम नागरिकों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ेगा।