Fake CBI Officer : राजस्थान की राजधानी जयपुर में नौकरी दिलाने के नाम पर संगठित ठगी करने वाले एक बड़े अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। इस सनसनीखेज मामले में, गिरोह के सरगना और उसके साथियों ने खुद को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का अधिकारी बताकर बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी का झांसा दिया और उनसे करोड़ों रुपये ठग लिए। चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी पीड़ितों पर अपना प्रभाव जमाने के लिए लाल बत्ती लगी गाड़ी और एक फर्जी पहचान पत्र (ID) का इस्तेमाल करते थे। जयपुर पुलिस की क्राइम ब्रांच (सीएसटी) टीम ने इस गिरोह का पर्दाफाश करते हुए मुख्य आरोपी रविंद्र शर्मा उर्फ रवि शर्मा और उसके चार अन्य साथियों को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों के कब्जे से नौकरी के फर्जी जॉइनिंग लेटर, सीबीआई स्पेशल ऑफिसर का नकली कार्ड और अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए हैं। इस घटना ने एक बार फिर नौकरी की तलाश में भटक रहे युवाओं की भेद्यता और ठगों के शातिर तरीकों को उजागर किया है।
जयपुर में नौकरी के नाम पर ठगी का बढ़ता जाल:
हाल के दिनों में जयपुर शहर नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोहों का हॉटस्पॉट बनता जा रहा है। यह घटनाक्रम उस पृष्ठभूमि में सामने आया है जब कुछ समय पहले ही पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया था जिसका मास्टरमाइंड खुद को आईएएस अधिकारी बताकर महंगे होटलों में इंटरव्यू आयोजित करता था और युवाओं से लाखों रुपये ठग लेता था। इन घटनाओं से स्पष्ट है कि ठग बेरोजगार युवाओं की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें अपने जाल में फंसा रहे हैं।
‘फर्जी’ CBI अफसर का शातिर तरीका:
इस ताजा मामले में, आरोपियों ने ठगी का एक और भी दुस्साहसिक तरीका अपनाया। मुख्य आरोपी रविंद्र शर्मा उर्फ रवि शर्मा पीड़ितों को यह विश्वास दिलाता था कि वह CBI का एक उच्च पदस्थ ‘स्पेशल अफसर’ है। अपनी बात को सच साबित करने के लिए वह लाल बत्ती लगी गाड़ी का इस्तेमाल करता था, जिससे लोगों को उस पर शक करने की कोई वजह नहीं मिलती थी। इसके अलावा, उसने एक नकली सीबीआई स्पेशल ऑफिसर का पहचान पत्र भी बनवा रखा था, जिसे वह पीड़ितों को दिखाकर अपनी ‘ठोस पहचान’ स्थापित करता था।

सरकारी विभागों के बड़े अधिकारियों का झांसा:
गिरोह के सदस्य खुद को सचिवालय, देवस्थान विभाग और फायर स्टेशन जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण सरकारी विभागों के उच्च पदस्थ अधिकारी बताते थे। वे बेरोजगार युवाओं से उनके शैक्षणिक और अन्य आवश्यक दस्तावेज जमा करवाते थे और उन्हें इन प्रतिष्ठित विभागों में आकर्षक पदों पर नौकरी दिलाने का झूठा वादा करते थे। इस झांसे में आकर बड़ी संख्या में युवाओं ने इन ठगों पर विश्वास कर लिया और उन्हें नौकरी पाने की उम्मीद में लाखों रुपये दे दिए।
क्राइम ब्रांच का सफल ऑपरेशन:
जयपुर पुलिस आयुक्तालय की क्राइम ब्रांच (सीएसटी) टीम इस गिरोह की गतिविधियों पर लगातार नजर रख रही थी। विश्वसनीय सूचना मिलने के बाद टीम ने थाना महेश नगर क्षेत्र में एक सुनियोजित कार्रवाई को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन में पुलिस ने रविंद्र शर्मा उर्फ रवि शर्मा और उसके चार अन्य साथियों को धर दबोचा। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से कई महत्वपूर्ण सबूत बरामद किए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- फर्जी जॉइनिंग लेटर: विभिन्न सरकारी विभागों के नाम पर तैयार किए गए ये पत्र पीड़ितों को नौकरी का झूठा आश्वासन देने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे।
- सीबीआई स्पेशल ऑफिसर का नकली कार्ड: यह पहचान पत्र आरोपियों द्वारा अपनी झूठी पहचान स्थापित करने और पीड़ितों को डराने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
- भारत सरकार लिखा फर्जी वाहन पास: लाल बत्ती लगी गाड़ी को वैध दिखाने के लिए इस फर्जी पास का इस्तेमाल किया जाता था।
- कार और दस्तावेजों की नकल कॉपियां: ठगी की योजना बनाने और पीड़ितों के दस्तावेजों का दुरुपयोग करने के लिए इन कॉपियों का इस्तेमाल किया जाता था।
पुलिस कर रही नेटवर्क का पता:
आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद, पुलिस अब इस बात की गहन जांच कर रही है कि इस गिरोह ने अब तक कितने निर्दोष युवाओं को अपना शिकार बनाया है और विभिन्न सरकारी विभागों तक इनका नेटवर्क कहां-कहां तक फैला हुआ है। प्रारंभिक जांच में यह आशंका जताई जा रही है कि इस अंतरराज्यीय गिरोह ने नौकरी के नाम पर ठगी करके करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की है। पुलिस आरोपियों से विस्तृत पूछताछ कर रही है ताकि इस पूरे गोरखधंधे का पर्दाफाश हो सके और पीड़ितों को उनकी गाढ़ी कमाई वापस मिल सके।
बेरोजगार युवाओं के लिए सबक:
यह घटना बेरोजगार युवाओं के लिए एक कड़ा सबक है कि वे नौकरी के झूठे वादों और आकर्षक प्रस्तावों पर आसानी से विश्वास न करें। किसी भी अनजान व्यक्ति या संस्था को नौकरी के लिए पैसे देने से पहले उसकी पूरी तरह से जांच-पड़ताल कर लें। सरकारी नौकरियों में भर्ती की एक निर्धारित प्रक्रिया होती है और किसी भी प्रकार की ‘सीधी भर्ती’ या ‘बैकडोर एंट्री’ के वादे अक्सर धोखाधड़ी का हिस्सा होते हैं। युवाओं को चाहिए कि वे आधिकारिक सरकारी वेबसाइटों और विश्वसनीय स्रोतों से ही नौकरी की जानकारी प्राप्त करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें।
जयपुर में ‘फर्जी’ CBI अफसर और उसके गिरोह का पर्दाफाश नौकरी के नाम पर हो रही ऑनलाइन और ऑफलाइन ठगी के बढ़ते खतरे को दर्शाता है। लाल बत्ती लगी गाड़ी और फर्जी पहचान पत्र जैसे शातिर तरीकों का इस्तेमाल करके ये ठग भोले-भाले युवाओं को अपना शिकार बनाते थे। क्राइम ब्रांच की त्वरित कार्रवाई ने इस गिरोह के नापाक मंसूबों को विफल कर दिया है, लेकिन यह घटना सभी नौकरीseekers के लिए एक चेतावनी है कि वे सतर्क रहें और किसी भी प्रकार के संदिग्ध प्रस्तावों से बचें। पुलिस अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके और इस पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ हो सके। यह घटना यह भी दर्शाती है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां इस तरह के अपराधों से निपटने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।