मुंबई, 17 अगस्त 2023: महाराष्ट्र के कुर्ला टर्मिनस जंक्शन में एक यात्री को छह रुपये न लौटाने पर रेलवे के एक क्लर्क को बड़ा झटका लगा है। इस 26 साल पुराने मामले में, बुकिंग क्लर्क राजेश वर्मा की सरकारी नौकरी छीन ली गई है। मामले में विजिलेंस टीम ने कार्रवाई की थी और उनके खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाया गया था।
मामला का विवरण:
30 अगस्त 1997 को, रेलवे क्लर्क राजेश वर्मा कुर्ला टर्मिनस जंक्शन में कंप्यूटरीकृत करंट बुकिंग कार्यालय में यात्रियों के टिकट बुक कर रहे थे। तब विजिलेंस टीम ने एक आरपीएफ के जवान को नकली यात्री बनाकर उनके पास टिकट लेने के लिए भेजा। आरपीएफ जवान ने कुर्ला टर्मिनस से आरा तक के लिए टिकट मांगा, जिसका किराया 214 रुपये था। यहाँ तक कि नकली यात्री ने उन्हें 500 रुपये का नोट दिया, लेकिन क्लर्क ने केवल 280 रुपये ही लौटाए।
छापा मारा गया:
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विजिलेंस टीम ने इस मामले में क्लर्क राजेश वर्मा के टिकटिंग काउंटर पर छापा भी मारा। जांच में पता चला कि टिकट बिक्री के हिसाब से उनके रेलवे कैश में 58 रुपये कम थे और उनकी सीट के पीछे एक अलमारी से 450 रुपये बरामद किए गए थे।
अदालत का फैसला:
विजिलेंस टीम की कार्रवाई के बाद, क्लर्क राजेश वर्मा को दोषी करार दिया गया और फरवरी 2002 में उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। हालांकि उन्होंने अपील की और कई प्राधिकरणों के पास जाकर इस मामले का समाधान ढूंढा, लेकिन उनकी नौकरी वापस नहीं मिल सकी। अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी इसके खिलाफ राहत देने से इनकार कर दिया है।
क्लर्क राजेश वर्मा के मामले में अदालत के फैसले ने एक सख्त संदेश दिया है कि ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण कार्रवाइयों के लिए कोई तोल देने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि रेलवे प्रणाली में सुरक्षा और निपटान के लिए सख्त उपाय अपनाए जाएं।*