नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि मणिपुर की घटना शर्मनाक है। लेकिन, उस पर राजनीति करना उससे भी ज्यादा शर्मनाक है। सरकार की मंशा वहां जनसांख्यिकी में बदलाव करने की कतई नहीं है। ऐसे में सभी पक्षों को मिलकर उस राज्य में शांति बहाली की अपील करनी चाहिए। लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर से जुड़े घटनाक्रम का ब्यौरा दिया। सरकार की ओर से वहां शांति स्थापित करने की दिशा में उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
गृह मंत्री ने मणिपुर में सभी पक्षों से हिंसा छोड़ने की अपील की और कहा कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है।
शाह ने कहा, ‘वे विपक्ष की इस बात से सहमत हैं कि मणिपुर में हिंसा का तांडव हुआ, हिंसक घटनाएं हुईं। वहां जो कुछ भी हुआ, वह शर्मनाक है। उस पर राजनीति करना उससे भी ज्यादा शर्मनाक है।’
उन्होंने कहा कि वहां जो दंगे हुए वे परिस्थितिजन्य थे और इस पर राजनीति करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि जनता को पता चलना चाहिए कि मणिपुर में अतीत में भी किस तरह से नस्लीय हिंसा होती रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा वहां जनसांख्यिकी को बदलने की कतई नहीं है। इस विषय पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इन घटनाओं में किसी की जान गई है, तो किसी का सम्मान गया है।
गृह मंत्री ने कहा, ‘कोई कितना भी दूर क्यों न हो, वह है तो भारत का नागरिक ही। इधर के और उधर के सभी लोगों को वहां शांति की अपील में साथ आना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘यह भ्रांति देश की जनता के सामने फैलाई गई है कि सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं है। मैं यह साफ करना चाहता हूं कि सत्र आहूत होने से पहले मैंने पत्र लिखकर मणिपुर पर चर्चा के लिए कहा था।’
शाह ने कहा कि मणिपुर में छह साल पहले भाजपा की सरकार बनी थी और तब से गत तीन मई तक वहां एक दिन भी हिंसा नहीं हुई, कर्फ्यू नहीं लगा, बंद नहीं हुआ और उग्रवादी घटनाएं भी कम हुईं।
मणिपुर के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि 2021 में म्यांमा में सैन्य शासन आया और इसके बाद वहां कुकी समुदाय पर शिकंजा कसा जाने लगा। फिर वहां से भारी संख्या में कुकी आदिवासी मिजोरम और मणिपुर में आने लगे और वे जंगलों में बसने लगे।
उन्होंने कहा कि इसके बाद मणिपुर के बाकी हिस्सों में असुरक्षा की भावना ने जन्म ले लिया। इसके बाद स्थिति को समझते हुए सरकार ने सीमा को बंद करने की दिशा में काम किया।
शाह ने कहा कि इस बीच ऐसी अफवाह फैल गई कि 53 बसावटों को अस्थायी जंगल गांव घोषित किया गया है जिससे पहले से व्याप्त असुरक्षा की भावना और बढ़ गई। उन्होंने कहा, ‘इसमें घी डालने का काम किया उच्च न्यायालय के एक फैसले ने। इसमें कहा गया कि मैतेई को आदिवासी घोषित कर दिया जाए।’
उन्होंने कहा कि इसके बाद मणिपुर में हिंसक घटनाओं में अब तक 152 लोग मारे गए हैं। इन घटनाओं को लेकर 1106 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
शाह ने दो महिलाओं की निर्वस्त्र परेड से संबंधित वीडियो मामले पर कहा कि यह घटना 4 मई की है और बेहद शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि कोई भी सभ्य समाज इसे स्वीकार नहीं कर सकता।
उन्होंने साथ ही कहा कि लेकिन संसद सत्र के एक दिन पहले ही ये वीडियो क्यों आया और जिस किसी के पास भी यह वीडियो था उसे यह पुलिस को, पुलिस महानिदेशक को दे देना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि समय पर यह वीडियो पुलिस को दिया जाता तो तभी कार्रवाई हो जाती।
शाह ने कहा कि वीडियो के सामने आने के तत्काल बाद चेहरों की पहचान करके सरकार ने इस मामले में कार्रवाई की है और नौ लोगों को गिरफ्तार किया जिन पर मुकदमा चल रहा है।
मणिपुर मामले में विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए शाह ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी मणिपुर दौरे के दौरान सड़क मार्ग से जाने की जिद पर अड़े रहे जबकि वह शांति से हवाई मार्ग से जा सकते थे।
उन्होंने कहा, ” ऐसा समय राजनीति करने का नहीं होता है यह बात विपक्ष को समझनी चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि जनता सबकुछ जानती और समझती है।’’
गृह मंत्री ने कहा कि वह पहले दिन से मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार थे लेकिन विपक्ष चर्चा नहीं चाहता था और केवल विरोध करना चाहता था।
मणिपुर में अनुच्छेद 356 लगाने की विपक्ष की मांग पर शाह ने कहा कि मणिपुर की राज्य सरकार सहयोग कर रही है, इसलिए ऐसा नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 356 तब लागू किया जाता है जब राज्य सरकार सहयोग नहीं करती। शाह ने विपक्ष की मांग को खारिज करते हुए कहा कि इसलिए मणिपुर के मुख्यमंत्री को भी बदलने की जरूरत नहीं थी।उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष उनकी बात से असंतुष्ट होता, तो प्रधानमंत्री से बोलने की मांग की जा सकती थी।
शाह ने कहा कि विपक्ष नहीं चाहता कि वह बोलें लेकिन वे उन्हें चुप नहीं करा सकते, 130 करोड़ लोगों ने इस सरकार को चुना है इसलिए उन्हें बात सुननी होगी।
उन्होंने कहा कि वह स्वयं तीन दिन मणिपुर में रहे और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय लगातार 23 दिन तक उस राज्य में रहे।
शाह ने कहा कि इससे पहले मणिपुर में हिंसा का इतिहास रहा है और कांग्रेस की सरकारों के समय भी वहां नस्लीय हिंसा की घटनाएं होती रहीं, लेकिन कभी कोई गृह मंत्री राज्य में नहीं गया और उनके समय भी प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने संसद में इस मामले पर उत्तर नहीं दिया।उन्होंने कहा कि सरकार मणिपुर में कुकी और मेइती दोनों समुदायों से बातचीत कर रही है।शाह ने कहा, ‘मेरा मणिपुर की जनता से करबद्ध निवेदन है कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है। वार्ता कीजिए।’