दिल्ली की राजनीति में हलचल तेज़ है। BJP अपने नए मुख्यमंत्री के नाम पर मंथन कर रही है और अब जो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है, वो है प्रवेश वर्मा। सवाल उठ रहा है – क्या बीजेपी जाट वोट बैंक को साधने के लिए प्रवेश वर्मा को सीएम बना सकती है?
केजरीवाल को हराकर चमके प्रवेश वर्मा
दिल्ली चुनाव में प्रवेश वर्मा ने आम आदमी पार्टी के संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराकर बड़ा उलटफेर कर दिया। इस जीत के बाद उनके नाम की चर्चा तेज हो गई है। बीजेपी में माना जा रहा है कि अगर उन्हें सीएम बनाया जाता है, तो इससे दिल्ली, हरियाणा, यूपी और राजस्थान में जाट समुदाय का समर्थन पार्टी को मिल सकता है।
जाट फैक्टर से मिलेगा BJP को फायदा?
प्रवेश वर्मा जाट समुदाय से आते हैं और उनका सीएम बनना बीजेपी के लिए सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत में चुनावी गणित को मजबूत कर सकता है। यूपी, हरियाणा और राजस्थान में जाटों की अच्छी-खासी आबादी है और ये फैसला बीजेपी के लिए लंबे समय तक फायदेमंद हो सकता है।
राजनीतिक अनुभव भी मजबूत
सिर्फ जातीय समीकरण ही नहीं, प्रवेश वर्मा का राजनीतिक अनुभव भी दमदार है। वह पहले भी दो बार सांसद रह चुके हैं और दिल्ली की राजनीति में उनकी पकड़ मजबूत है। इसके अलावा, उनके पिता साहिब सिंह वर्मा भी दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जिससे उन्हें पॉलिटिक्स की समझ विरासत में मिली है।
लेकिन क्या BJP हाईकमान मानेगा?
अब असली सवाल यही है कि क्या बीजेपी हाईकमान इस पर मुहर लगाएगा? पार्टी के अंदर कई और नाम भी रेस में हैं, लेकिन प्रवेश वर्मा को लेकर मजबूत लॉबिंग चल रही है। अगर बीजेपी दिल्ली में जाट समुदाय को मजबूत करना चाहती है, तो प्रवेश वर्मा को सीएम बनाना एक बड़ा मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है।
अब सबकी नजर बीजेपी के अगले कदम पर है। क्या वाकई प्रवेश वर्मा को दिल्ली की कमान सौंपी जाएगी या फिर बीजेपी कोई और चौंकाने वाला नाम लेकर आएगी?