बिहार, जो अपने सांस्कृतिक धरोहर और भोजपुरी सिनेमा के लिए जाना जाता है, अब एक नई पहचान बना रहा है। यह पहचान है स्टेज शो और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़ती हिंसा और अश्लीलता की। पिछले कुछ वर्षों में, बिहार के विभिन्न जिलों में जब भी कोई लाइव शो होता है, उसके साथ विवाद और अराजकता की कहानियाँ भी जुड़ जाती हैं। तो चलिए जानते हैं कि यह सब आखिर क्यों हो रहा है।
बिहार की रंगीन रातें: एक काली छाया
बिहार के गांवों और कस्बों में जब भी कोई म्यूजिक शो या डांस प्रोग्राम होता है, तो लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है। लेकिन यह भीड़ अक्सर असामान्य घटनाओं की गवाह बनती है। हर्ष फायरिंग, पत्थरबाजी, और अश्लीलता की घटनाएं अब आम हो चुकी हैं। लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ मजे करने आते हैं, लेकिन उन्हें असुरक्षा और भय का सामना करना पड़ता है।
हर्ष फायरिंग का खौफ
हाल ही में, छपरा में एक लाइव शो के दौरान हर्ष फायरिंग की घटना हुई, जिसमें मशहूर भोजपुरी सिंगर निशा उपाध्याय घायल हो गईं। इस घटना ने लोगों में दहशत फैला दी और यह सवाल खड़ा किया कि आखिर ये शो कितने सुरक्षित हैं? जब लोग अपने मनोरंजन के लिए आते हैं, तो क्या उन्हें फायरिंग का खतरा भी उठाना पड़ता है?
अश्लीलता का आलम
बिहार में कई बार देखा गया है कि स्टेज पर डांसरों से अश्लील डांस करवाने की कोशिश की जाती है। मोतिहारी में हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक युवक कट्टे की नाल में नोट डालता है, और डांसर उसी के साथ डांस करती है। यह दृश्य न केवल अजीब था, बल्कि समाज के नैतिक मूल्यों पर भी सवाल उठाता है।
राजनीति और सांस्कृतिक कार्यक्रम
बिहार में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन अक्सर राजनीतिक नेताओं द्वारा किया जाता है। ये नेता ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होकर अपनी छवि को चमकाने की कोशिश करते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या वे इस अराजकता और अपराध को रोकने के लिए कुछ कर रहे हैं? सरकार की चुप्पी इस बात का संकेत है कि शायद उन्हें इस समस्या की गंभीरता का एहसास नहीं है।
समाज का बदलता चेहरा
आज के दौर में, जब लोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जाने के लिए उत्सुक हैं, तो उनके मन में यह चिंता भी रहती है कि कहीं कोई अप्रिय घटना न हो जाए। यह स्थिति समाज के लिए चिंता का विषय है। क्या हम एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं जो हिंसा और अश्लीलता को सही ठहराती है?
क्या है समाधान?
इस समस्या का समाधान निकालना जरूरी है। सबसे पहले, हमें इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा और सभी संबंधित पक्षों को एक साथ लाकर एक प्रभावी योजना बनानी होगी। पुलिस और प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और ऐसे आयोजनों पर कड़ी नजर रखनी होगी।