जयपुर: राजनीति में कब क्या हो जाए, ना कोई पंडित बता सकता और ना कोई मौलवी। हद ये कि अभी तो साइंस ने भी इतनी तरक्की नहीं की, जो मन की सियासत को समझ ले। राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। मगर उससे पहले अब आप ये देखिए कि दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे ने सियासत में हड़कंप मचा दिया है। बीजेपी आलाकमान और वसुंधरा राजे की तनातनी सतह पर आ गई है।
ऐसे में कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। क्या वसुंधरा नई पार्टी बनाएंगी? बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचाएंगी? आखिर पीएम मोदी और वसुंधरा के रिश्तों में खटास क्यों आई? बीजेपी के पास वसुंधरा का तोड़ क्या है? क्या अब उनकी जरूरत नहीं रही? ये सब जानना चाहते हैं तो जरूर सुनें या पढ़ें, ‘वसुंधरा राजे से मोदी की नाराजगी का राज क्या है?’
राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में कुछ महीने बाकी हैं, लेकिन इससे पहले ही राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे और बीजेपी आलाकमान के बीच तनातनी सतह पर आ गई है।
इस तनातनी के कई कारण बताए जा रहे हैं। एक कारण यह है कि वसुंधरा राजे को बीजेपी आलाकमान ने 2023 के चुनाव में मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं बनाया है। इसके बजाय, गजेंद्र सिंह शेखावत को चुनाव अभियान का प्रभारी बनाया गया है। वसुंधरा राजे के समर्थकों का कहना है कि यह उनके साथ अन्याय है, क्योंकि वे बीजेपी की सबसे लोकप्रिय चेहरे हैं।
दूसरा कारण यह है कि वसुंधरा राजे को लगता है कि बीजेपी आलाकमान उनके प्रति उदासीन है। वे इस बात से नाराज हैं कि उन्हें कई महत्वपूर्ण बैठकों और निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाता है।
वसुंधरा राजे की तनातनी ने बीजेपी के लिए भी मुश्किल खड़ी कर दी है। पार्टी को डर है कि अगर वसुंधरा राजे नाराज होकर पार्टी छोड़ देती हैं, तो इससे उन्हें चुनाव में नुकसान हो सकता है।
इस तनातनी के बाद कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। क्या वसुंधरा राजे पार्टी छोड़ देंगी? अगर वे छोड़ देती हैं, तो क्या वे नई पार्टी बना सकती हैं? क्या उनकी नई पार्टी बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकती है?
ये सवालों के जवाब आने वाले दिनों में ही पता चलेंगे। लेकिन एक बात तो तय है कि वसुंधरा राजे की तनातनी ने राजस्थान की राजनीति में हलचल मचा दी है।
वसुंधरा राजे के समर्थकों का दबाव
वसुंधरा राजे के समर्थकों का दबाव है कि वे पार्टी छोड़कर नई पार्टी बनाएं और बीजेपी से बदला लें। लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि ऐसा करने से उन्हें ज्यादा नुकसान होगा।
बीजेपी के पास क्या तोड़ है?
बीजेपी के पास वसुंधरा राजे का तोड़ खोजने की चुनौती है। अगर पार्टी उन्हें मना नहीं पाती है, तो उन्हें चुनाव में नुकसान हो सकता है।
क्या अब वसुंधरा राजे की जरूरत नहीं रही?
कुछ लोगों का कहना है कि वसुंधरा राजे की अब जरूरत नहीं रही है। वे कहते हैं कि पार्टी के पास अन्य लोकप्रिय चेहरे हैं, जो चुनाव जीत सकते हैं।
वसुंधरा राजे से मोदी की नाराजगी का राज क्या है?
वसुंधरा राजे और नरेंद्र मोदी के बीच खटास के कई कारण बताए जा रहे हैं। एक कारण यह है कि वसुंधरा राजे को लगता है कि मोदी उन्हें तरजीह नहीं देते हैं। दूसरा कारण यह है कि मोदी चाहते हैं कि बीजेपी एक राष्ट्रीय पार्टी बन जाए, जबकि वसुंधरा राजे को लगता है कि पार्टी को अपने मूल जनाधार पर ध्यान देना चाहिए।