बिहार में शक्ति परीक्षण से पहले सियासी पारा हाई है। जेडीयू ने विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव विधानसभा से पारित हो गया है। बहुमत परीक्षण से पहले नीतीश कुमार स्पीकर को हटाने पर क्यों अड़े हुए थे? में पिछले कुछ दिनों से चल रहा सियासी खेला अब अंत की ओर है। यह अंत किसके लिए भला होगा, नीतीश कुमार या तेजस्वी यादव? यह विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के साथ ही साफ हो जाएगा। फ्लोर टेस्ट से पहले सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक, सभी अपने विधायकों को अपने पाले में बनाए रखने के लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं। कहीं विधायक आउट ऑफ कॉन्टैक्ट हैं तो कहीं विधायक को हिरासत में लेकर पुलिस पटना आ रही है। पटना में गहमागहमी के बीच नीतीश कुमार या तेजस्वी यादव नहीं, स्पीकर और राज्यपाल पर नजरें टिकी हैं।
स्पीकर अवध बिहारी चौधरी, तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के ही विधायक हैं। नीतीश के पालाबदल के बाद अवध बिहारी चौधरी ने स्पीकर की कुर्सी छोड़ने से इनकार कर दिया था। विधानसभा की कार्यवाही के संचालन से लेकर विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग तक, स्पीकर की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। विश्वास मत से ठीक पहले आरजेडी नेता और नीतीश के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार में मंत्री रहे सुधाकर सिंह ने यह दावा किया है कि स्पीकर हमारा होगा और सरकार विश्वास मत हासिल नहीं कर पाएगी।
सुधाकर सिंह का ये बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि जेडीयू की ओर से यह साफ कहा जा चुका है कि विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद सबसे पहले स्पीकर को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा। राज्यपाल के अभिभाषण के
बाद जैसे ही विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई, जेडीयू विधायकों की ओर से स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया। अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 125 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 112 वोट पड़े।