Virendra Singh Hudeel जयपुर, राजस्थान के रहने वाले एक युवा नेता है और वकालत का कार्य कर रहे हैं जयपुर में काफी समय से समाज सुधार का कार्य वीरेंद्र ने किया और वर्तमान में उठ रही रामायण के प्रति भारतीयों पर अपनी टिप्पणी दी
सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति के इस युग में लोग कुछ ज्यादा ही संवेदनशील हो गए हैं। कोई नई किताब आती है तो उस पर बवाल, नई फिल्म आती है तो उस पर बवाल हो जाता है। अगर बवाल करने को नया मुद्दा नहीं मिलता तो पुराने मुर्दे उखाड़े जाने लगते हैं। हिन्दी फिल्म पठान का बवाल थमा भी नहीं था कि अंधविश्वास को सनातन धर्म से जोड़ कर क्रांति का बिगुल बजा दिया गया। अंध विश्वास को सनातन धर्म की आत्मा बताने वाले बाबा अपने महाअभियान में निकले ही थे कि राजनीति के कई घाटों का पानी पी चुके सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने तुलसीदासकृत महाकाव्य ‘‘राम चरित मानस’’ पर ही हल्ला बोल दिया।
स्वामी प्रसाद मौर्य एक सुशिक्षित और अनुभवी राजनेता है। राजनीति के अलावा वकालत भी करते रहे हैं। वह नब्बे के दशक से सक्रिय राजनीति में हैं और उत्तर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री तथा प्रतिपक्ष के नेता भी रह चुके हैं। लेकिन उनकी नजर अब गोस्वामी तुलसीदास के महाकाव्य ’’राम चरित मानस’’ पर पड़ी। स्वामी प्रसाद ने राम चरित मानस को बकवास बताते हुए उसकी कुछ चौपाइयां हटवाने तथा इस महाकाव्य को बैन करने की मांग कर डाली।
स्वामी प्रसाद का यह बीड़ा उठाना ही था कि उनके समर्थन में भी कुछ ‘लाइक माइंडेड’ लोग उतर गए। उन्होंने महाकाव्य की प्रतियां तक फूंक डाली। हालांकि समाजवादी पार्टी अपने इस धुरंधर नेता के बयान से स्वयं को अलग बता रही है। रामचरित मानस में संशोधन की बात भी हास्यास्पद ही है। क्योंकि यह कोई कानून की किताब नहीं जिसे संशोधित किया जाए या संविधान की धारा 370 की तरह उसकी भी कोई धारा हटा कर नई धारा जोड़ दी जाए। यह एक लोकसाहित्य है जो सीधे लोगों की धार्मिक भावनाओं से भी जुड़ी हुई है। लोकसाहित्य और धार्मिक प्रसंग लोगों के दिमाग में होते हैं जिन्हें दिमाग से ही हटाया जा सकता है।
’’रामचरित मानस’’ बस एक काव्य ही नहीं बल्कि सनातन धर्मावलम्बियों द्वारा भगवान के रूप में आराध्य राम की कथा है। इस महाकाव्य में मानवता की कल्पना, जिसमें उदारता, क्षमा, त्याग, निवैरता, धैर्य और सहनशीलता आदि सामाजिक शिवत्व के गुण अपनी पराकाष्ठा के साथ मिलते हैं। इसमें राम का सम्पूर्ण जीवन-चरित वर्णित हुआ है। इस महान कृति में ‘‘चरित’’ और ‘‘काव्य’’ दोनों के गुण समान रूप से मिलते हैं।
लखनऊ में पीजीआई के वृंदावन कालोनी में रविवार सुबह रामचरित मानस की प्रतियां फाड़ने के बाद जला दी गईं। प्रतियां जलाने वाले ओबीसी महासभा के पदाधिकारी हैं। उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्या के समर्थन में नारेबाजी की और प्रतियां जलाई हैं। इस मामले में पीजीआई पुलिस ने जीडी में तस्करा दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है। हालांकि इस संबंध में कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है। प्रतियां जलाने का सोशल मीडिया पर वीडियो भी वायरल हो रहा है।