जयपुर, 17 अक्टूबर 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों में अंदरूनी कलह देखने को मिल रही है। कांग्रेस में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच जारी विवाद ने पार्टी को अंदरूनी कलह का शिकार बना दिया है। वहीं, बीजेपी में भी वसुंधरा राजे सिंधिया और सतीश पूनिया के बीच चल रहे विवाद ने पार्टी को कमजोर कर दिया है।
कांग्रेस में भगदड़
कांग्रेस में सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ विद्रोह कर दिया है। पायलट का दावा है कि गहलोत सरकार में भ्रष्टाचार और अराजकता का बोलबाला है। उन्होंने गहलोत सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है। पायलट के समर्थन में कांग्रेस के कई विधायक भी आ गए हैं। इस वजह से कांग्रेस में भगदड़ मची हुई है।
बीजेपी में बिखराव
बीजेपी में भी वसुंधरा राजे सिंधिया और सतीश पूनिया के बीच चल रहे विवाद ने पार्टी को कमजोर कर दिया है। राजे सिंधिया ने हाल ही में गहलोत सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन में भारी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए थे। लेकिन, इस प्रदर्शन के दौरान बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद नहीं थे। इससे यह संकेत मिलता है कि बीजेपी भी अंदरूनी कलह से जूझ रही है।
राजस्थान में चुनाव से पहले दोनों ही पार्टियों में चल रही अंदरूनी कलह चुनावी नतीजों पर असर डाल सकती है। अगर दोनों ही पार्टियां अपने अंदरूनी कलह को नहीं सुलझाती हैं, तो इससे दोनों ही पार्टियों को नुकसान हो सकता है।
1998 में गहलोत को मिली थी सत्ता, आज वही फॉर्मूला काट रहा उनका पत्ता
राजस्थान कांग्रेस का सियासी संकट गहरा गया है। अशोक गहलोत के समर्थक विधायक सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने, गहलोत को कांग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित होने से पहले पद से हटाए जाने के विरोध में लामबंद हो गए हैं। राजस्थान के ताजा घटनाक्रम के बीच लोगों के जेहन में साल 1998 के विधानसभा चुनाव के बाद की तस्वीरें ताजा हो गई हैं जब अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया था और तब वे विधायक भी नहीं थे।
1998 में कांग्रेस ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीता था। लेकिन, पार्टी में कोई भी नेता मुख्यमंत्री बनने के लिए सहमत नहीं था। ऐसे में पार्टी ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया। गहलोत उस समय विधायक नहीं थे। लेकिन, उन्हें कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की सहमति से मुख्यमंत्री बनाया गया था।
आज राजस्थान में भी कांग्रेस के सामने वही स्थिति बन गई है। पार्टी में कोई भी नेता मुख्यमंत्री बनने के लिए सहमत नहीं है। ऐसे में सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में आगे हैं। पायलट का दावा है कि उन्हें कांग्रेस के विधायकों का समर्थन है।
अगर पायलट मुख्यमंत्री बनते हैं, तो यह गहलोत के लिए बड़ा झटका होगा। गहलोत ने 2018 में मुख्यमंत्री पद संभाला था। उन्होंने पिछले पांच सालों में कई विकास कार्य किए हैं। लेकिन, अब उनकी सत्ता जाने की संभावना बढ़ गई है।