Unclaimed Deposits: बैंकों में लावारिस पड़े जाम रकम को लेकर सरकार बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। एफएसडीसी की बैठक में बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों में बिना दावे वाली रकम को सबंधित लोगों तक पहुंचाने के लिए अभियान चलाएगी। आपको बता दें कि बैंकों में 35000 करोड़ रुपए बिना दावे के रकम है, जिसका कोई दावेदार सामने नहीं आया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में फाइनेंशल स्टेबिलिटी ऐंड डिवेलपमेंट काउंसिल की बैठक में रेगुलेटर्स से कहा था कि वे बैंकिंग शेयर, डिविडेंड, म्यूचुअल फंड या इंश्योरेंस आदि के रूप में जहां भी बिना दावे वाली रकम पड़ी है, उसके सेटलमेंट के लिए विशेष अभियान चलाएं।
ऐसे में पहला सवाल बनता है कि बिना दावे वाली रकम कौन सी है। इसका जवाब है – ऐसा कोई भी डिपॉजिट जिसमें दस साल या उससे ज्यादा समय से कोई गतिविधि नहीं देखी गई है। यानी रकम जमा करने वाले ने न तो फंड जमा किया और न ही उसे निकालने की जहमत की। ऐसा अमूमन तब होता है जब खाताधारक अपने चालू या बचत खाता जिसे वह अब इस्तेमाल नहीं करना चाहता, उसे बंद कराना भूल जाते हैं। या फिर बैंक में जमा एफडी को बैंक को सूचित किए बिना खाते में रखते हैं।
ऐसे भी मामले होते हैं जहां खाताधारक की मृत्यु हो चुकी होती है और नॉमिनी या कानूनी वारिस बैंक में जमा रकम को लेने के लिए दावा नहीं कर पाते। देश के तमाम खातों में जमा 35 हजार करोड़ रुपए बिना दावे वाली रकम को इस साल फरवरी में बैंकों ने रिजर्व बैंक के सुपुर्द किया था। ऐसे में अगर आपको जानना है कि आपका खाता भी इस कैटिगरी में है या नहीं, तो बैंक की नजदीकी शाखा जाकर पता किया जा सकता है। यही नहीं बैंक की वेबसाइट पर जाकर भी इसकी जानकारी ली जा सकती है। खाता ऐक्टिव करने के लिए बैंक आपसे आईडी दस्तावेज, अड्रेस प्रूफ और खाता इस्तेमाल न करने की वजह पूछ सकता है। हालांकि रिजर्व बैंक ऐसी रकम के लिए सेंट्रल वेब पोर्टल जल्द लाने जा रहा है।
आखिर क्या होता है Unclaimed Deposits?
अब बताते हैं कि आखिर ये अनक्लेम्ड डिपॉजिट (Unclaimed Deposits) होता क्या है? दरअसल, अलग-अलग बैंक सालाना आधार पर अकाउंट्स रिव्यू करते हैं. इसमें ये पता भी लगाया जाता है कि ऐसे कौन-कौन से बैंक अकाउंट हैं, जिनमें किसी तरह का कोई लेन-देन (Bank Transaction) नहीं हुआ है. जब किसी डिपॉजिटर्स की ओर से बीते 10 साल के दौरान किसी अकाउंट में न तो कोई फंड डाला जाता है और न ही इसमें से कोई रकम निकाली जाती है तो इस दौरान अकाउंट में पड़ी रकम को अनक्लेम्ड डिपॉजिट माना जाता है. इसके बाद बैंक इन ग्राहकों से संपर्क करने की कोशिश भी करते हैं.
बैंक RBI को देते हैं ऐसे अकाउंट की जानकारी
बिना दावे वाली इस रकम को लेकर जो प्रक्रिया है, उसके तहत जिन अकाउंट में जमा राशि का कोई दावेदार नहीं होता, तो बैंकों की ओर से आरबीआई को इसकी जानकारी दी जाती है. इसके बाद ये अनक्लेम्ड डिपॉजिट डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEAF) में ट्रांसफर कर दिया जाता है. इस तरह के डिपॉजिट्स को लेकर RBI अवेयरनेस कैम्पेन चलाता रहता है, जिससे इसके कानूनी हकदारों का पता लगाया जा सके. बता दें इस तरह के अनक्लेम्ड डिपॉजिट बढ़ने के कई कारण भी हैं. इनमें से कुछ का जिक्र करें तो डिपॉजिटर की मौत हो गई है और उसका नॉमिनी दस्तावेजों में दर्ज न होने से उस अकाउंट में जमा रकम का कोई दावेदार नहीं मिलता.
आरबीआई ने तैयार किया वेब पोर्टल
ये बेनामी रकम अनक्लेम्ड डिपॉजिट में न जाए इसके लिए RBI की ओर से क्रेडिट पॉलिसी बनाने की तैयारी की जा रही है. इस पॉलिसी के बारे में बताते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा बीते दिनों कहा था कि हम ऐसे कई कदम उठा रहे हैं, जिससे नए डिपॉजिट्स का पैसा अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स में न जा जाए. इसके साथ ही वर्तमान में मौजूद अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स को भी इसके कानूनी हकदारों तक पहुंचाने के प्रयास जारी हैं. उन्होंने आगे जानकारी देते हुए कहा कि इस तरह के डिपॉजिट और इसके डिपॉजिटर या लाभार्थी के आंकड़ों के लिए केंद्रीय बैंक ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स की मदद से डिजाइन किया गया एक वेब पोर्टल तैयार किया है. इससे अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स को लेकर सही इनपुट के साथ अलग-अलग बैंकों के डिपॉजिटर की जानकारी मिल सकेगी.