Supreme Court On Rape Case:इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के निदेशक को निर्देश दिया कि वह बलात्कार पीड़िता की जन्मकुंडली से परामर्श कर उसका शुभ फल निर्धारित करे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने तरह के इस अनोखे न्यायिक आदेश पर रोक लगा दी है.
हाई कोर्ट ने मांगी रेप पीड़िता की जन्मकुंडली पर रिपोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ये जानना जरूरी नहीं कि लड़की ‘मंगली’ है या नहीं
उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जुड़ा एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसमें एक बलात्कार के आरोपी ने पीड़िता से मांगलिक होने के आधार पर शादी करने से इनकार कर दिया। इस आधार पर कोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय (एलयू) के ज्योतिष विभाग को पीड़िता की कुंडली की जांच करने और यह निर्धारित करने का निर्देश दिया कि वह मांगलिक है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।
Supreme Court On Rape Case: रेप के आरोपी की जमानत पर आए इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) के एक अजीब आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. हाई कोर्ट ने पीड़िता की कुंडली पर ज्योतिष रिपोर्ट मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इसे गैरजरूरी बताया है. अवकाशकालीन बेंच ने शनिवार (3 जून) को हुई विशेष सुनवाई में कहा, “ये जानना जरूरी नहीं कि पीड़िता मंगली है या नहीं. हाई कोर्ट तथ्यों के हिसाब से जमानत पर फैसला ले.”
शादी का झांसा देकर संबंध बनाने के लिए एक शख्स पर रेप का केस दर्ज हुआ है. आरोप है कि उसने यह कहते हुए शादी से मना कर दिया कि लड़की मंगली है. उसकी जमानत याचिका 23 मई को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई के लिए लगी थी. हाई कोर्ट के जस्टिस बृज राज सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय के एस्ट्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष से रिपोर्ट मांग ली कि लड़की की जन्मकुंडली में मंगल दोष है या नहीं. जस्टिस सिंह ने 3 हफ्ते में रिपोर्ट देने का निर्देश देते हुए 26 जून को सुनवाई की अगली तारीख रखी.
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए विशेष सुनवाई की. दोपहर 3 बजे जस्टिस सुधांशु धुलिया और पंकज मिथल की बेंच विशेष रूप से सुनवाई के लिए बैठी. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई से जुड़े. उन्होंने कहा कि ज्योतिष एक विज्ञान है, लेकिन कोर्ट की सुनवाई में उसकी रिपोर्ट मांगना सही नहीं है. इस पर जजों ने भी कहा कि वह ज्योतिष विद्या पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, लेकिन अदालती मामलों में उसकी कोई भूमिका नहीं है.
हाई कोर्ट के फैसले से सुप्रीम कोर्ट हैरान
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कुंडली परीक्षण का आदेश दिया है। 23 मई को जस्टिस बृजराज सिंह की कोर्ट ने यह आदेश जारी किया था. कोर्ट ने लखनऊ यूनिवर्सिटी को जवाब देने के लिए दस दिन का समय दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 26 जून को निर्धारित की गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया और आदेश पर रोक लगा दी। तत्काल सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर हैरानी जताई।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक, ये मामला लखनऊ के चिनहट इलाके का है। यहां की एक लड़की ने आरोप लगाया कि उन्हें गोविंद राय उर्फ मोनू नाम के शख्स ने शादी का झांसा देकर अपने जाल में फंसाया और उनके साथ यौन संबंध बनाए। थाना चिनहट में दर्ज FIR के अनुसार, आरोपी और महिला की शादी परिवार की रजामंदी से तय हुई थी। इस बीच महिला के पिता का देहांत हो गया। मौके पर आरोपी आया, और शादी का झांसा देकर महिला के साथ संबंध बनाए। घर पहुंचकर आरोपी ने शादी से इनकार कर दिया। आरोपी की जमानत पर बहस करते हुए उनके अधिवक्ता ने कहा कि आरोपी के पुरोहित की राय में लड़की की कुंडली में मांगलिक दोष है।
हाई कोर्ट के जज बृज राज सिंह ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद 23 मई को आदेश दिया कि आरोपी ने लड़की से शादी का झूठा वादा किया था। इसके साथ ही उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी के ज्योतिष विभाग के एचओडी को 10 दिन के अंदर महिला की कुंडली जांच कर ये बताने का निर्देश दिया कि वो मांगलिक है या नहीं। इस मामले में अगली सुनवाई 26 जून को होनी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज इस फैसले पर रोक लगा दी।
पीड़ित ने पुलिस को क्या बताया था?
पीड़ित ने पुलिस को बताया कि 16 जून 2020 को उसका गोविंद के संग रोका हुआ था। इसके बाद हमारे बीच फोन और वीडियो कॉल से बात होने लगी। 19 अप्रैल 2021 को मेरे पिता की मौत हो गई। इसके बाद 20 अप्रैल 2021 को गोविंद अपनी मां के साथ मेरे मल्हौर स्थित घर में आया।
रात में जब घर के सभी सदस्य सो रहे थे तो गोविंद ने मेरे साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की। जब मैंने मना किया तो गोविंद ने कहा कि कुछ ही दिन में हमारी शादी होने वाली है तो शारीरिक संबंध बनाने में क्या दिक्कत है?
इसके बाद गोविंद ने मेरी मर्जी के खिलाफ 4 दिन लगातार मेरा रेप किया। फिर दो साल तक हम दोनों के बीच वीडियो कॉल से बात होती रही। जब मैं गोविंद से शादी करने की बात कहती तो वह टाल-मटोल कर देता।
बाद में उसने बताया कि वह किसी और से शादी करने जा रहा है और उसने मेरा नंबर ब्लॉक कर दिया है। गोविंद ने मुझे धमकी दी कि अगर मैंने उससे संबंध होने की बात किसी को बताई तो वह मेरे प्राइवेट फोटो और वीडियोज वायरल कर देगा।
पीड़ित की ओर से केस दर्ज कराने के बाद पुलिस ने आरोपी गोविंद को गिरफ्तार कर लिया था। आरोपी ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की। सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने कहा कि लड़की मांगलिक है, इसलिए मेरे मुवक्किल उससे शादी नहीं कर सकते।
पीड़ित की ओर से कोर्ट में एडवोकेट रवींद्र कुमार सिंह, अंजली दुबे, मनोज कुमार सिंह, राजीव कुमार मिश्रा और सोनी पाठक पेश हुईं। उन्होंने अदालत में कहा कि पीड़ित मांगलिक नहीं है। आरोपी ने उसके साथ शादी का झांसा देकर रेप किया।
गोविंद की वकील सोनिया मिश्रा का कहना है कि मेरे मुवक्किल को फंसाया गया है। अगर पीड़ित के साथ रेप हुआ था तो एक साल बाद मुकदमा क्यों दर्ज कराया गया? पीड़ित ने मेडिकल से क्यों मना कर दिया? हमें कोर्ट पर पूरा विश्वास है। कोर्ट जो भी फैसला देगी हमें स्वीकार होगा।
लखनऊ विश्वविद्यालय को 10 दिन में देनी होगी रिपोर्ट
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने 23 मई 2023 को दिए आदेश में कहा है कि आरोपी ने लड़की से शादी का झूठा वादा किया था। वह लड़की से कभी शादी करना ही नहीं चाहता था।
कोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष को 10 दिन के अंदर पीड़ित की कुंडली देखकर यह बताने का आदेश दिया था कि वह मांगलिक है या नहीं?