नई दिल्ली: कहते हैं कि असली प्रेरणा हमें घर से मिलती है। यही बात डॉ. मानव आहूजा की कहानी को खास बनाती है। दिल्ली के एक साधारण परिवार में जन्मे डॉ. आहूजा ने बचपन से ही अपने पिता के संघर्षों को देखा। उनके पिता, ओ.पी. आहूजा, एक छोटे व्यापारी थे, जो इलेक्ट्रिकल गुड्स का काम करते थे। लेकिन व्यापार की चुनौतियां, पेमेंट में देरी और कई बार नुकसान झेलते हुए भी उन्होंने हार नहीं मानी।
इन्हीं मुश्किलों ने छोटे मानव को सिखाया कि व्यापार करना आसान नहीं होता। तभी से उन्होंने ठान लिया था कि वे व्यापार की दुनिया में कुछ ऐसा करेंगे, जिससे दूसरों को मदद मिल सके।
पिता से मिली प्रेरणा
बचपन में अपने पिता के संघर्षों को देखना उनके लिए किसी सबक से कम नहीं था। उनके पिता ने जो मेहनत की, वह मानव के लिए एक प्रेरणा बन गई। उन्होंने सीखा कि व्यापार में धैर्य और सही रणनीति सबसे जरूरी हैं।
दुबई में संघर्ष और सफलता
2004 में, डॉ. मानव आहूजा ने दुबई का रुख किया। शुरुआत में, उन्होंने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में सेल्स एग्जीक्यूटिव के रूप में काम किया। दुबई की तपती गर्मी में मार्केटिंग करना और ग्राहकों से जुड़ना उनके लिए आसान नहीं था। लेकिन उन्होंने हर चुनौती को स्वीकार किया और अपनी मेहनत से धीरे-धीरे सफलता की सीढ़ियां चढ़ीं।
TPEG: Think Plan Execute & Grow
अपने अनुभवों से सीखते हुए डॉ. आहूजा ने TPEG (Think Plan Execute & Grow) की स्थापना की। यह कंपनी व्यापारियों को इंटरनेशनल मार्केट में कदम रखने और अपने कारोबार को ग्लोबल ब्रांड में बदलने में मदद करती है।
लोकल से ग्लोबल तक का सफर
डॉ. आहूजा ने अब तक हजारों व्यापारियों को इंटरनेशनल मार्केट में अपनी जगह बनाने में मदद की है। उनकी रणनीतियां और ट्रेनिंग प्रोग्राम्स व्यापारियों को एक्सपोर्ट, मार्केटिंग और ग्लोबल बायर्स से जुड़ने के तरीके सिखाते हैं। उनका मिशन है कि भारत के हर छोटे व्यापारी को ग्लोबल लेवल पर पहचान मिले।
पिता का सपना किया पूरा
डॉ. आहूजा कहते हैं, “मेरे पिता ने मुझे सिखाया कि व्यापार सिर्फ पैसा कमाने का जरिया नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है। आज मैं जो भी हूं, वह उनकी मेहनत और संघर्ष की वजह से हूं।”
भारतीय व्यापारियों के लिए एक प्रेरणा
डॉ. मानव आहूजा की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। उनके संघर्ष और सफलता की यह यात्रा हमें सिखाती है कि अगर मेहनत और सही दिशा हो, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।
आज डॉ. आहूजा न केवल खुद सफल हैं, बल्कि वे हजारों भारतीय व्यापारियों को ग्लोबल पहचान दिलाने का काम कर रहे हैं। उनकी यह यात्रा यह साबित करती है कि बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का साहस हो, तो कुछ भी असंभव नहीं है।