Manoj Singh Tiger: भोजपुरी सिनेमा के मशहूर कलाकार मनोज सिंह टाइगर ने हाल ही में अपने फेसबुक पेज पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इस सोशल मीडिया पोस्ट में यह सोच कर साझा किया कि भोजपुरी सिनेमा में अच्छे विषय पर काम करने के बावजूद फिल्म लोगों के दिल में अच्छी छाप नहीं छोड़ पा रही है और लोगों के दिल में खास जगह बना नहीं पा रही है।
अभिनेता Manoj Singh Tiger ने खोली भोजपुरी सिनेमा में चरित्र अभिनेताओं की अनदेखी की पोल
मनोज टाइगर (Manoj Singh Tiger) ने यह भी मान्यता दी है कि भोजपुरी सिनेमा में कुछ अच्छे निर्देशक तो आ चुके हैं, लेकिन फिर भी कहां हम गलती कर रहे हैं, विशेष दर्शक एक तरफ़ से हमारी सिनेमा को अस्वीकार कर रहे हैं, जबकि मैंने देखा है कि नए निर्देशकों ने अच्छे विषय पर अच्छा काम किया है, लेकिन उनके उद्देश्य में सफल नहीं हुए।
हाँ, बजट एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन कई फिल्मों का बजट उतना कम नहीं होता, बावजूद उसके फिल्म वाह वाह करने को मजबूर नही कर पाती, ऐसे तो बहुत वजह है लेकिन दर्शक सबसे पहले सिनेमा में देखने जाती है कलाकार फिर कलाकार के जरिए उसको कथा और कथानक देखने को मिलता है लेकिन कथा को दिखाने का काम किरदार करते है और उनकी अभिनय क्षमता अगर सशक्त है तब तो अच्छी स्क्रिप्ट लोगों के दिल में उतर जाती है
भोजपुरी सिनेमा में चरित्र अभिनेताओं को उपेक्षा का मुद्दा: कलाकारों में बढ़ रहा असंतोष
उन्होंने आगे कहा कि कलाकारों के माध्यम से दर्शक को कहानी और पटकथा दिखाई जाती है, लेकिन चरित्रों का काम होता है कहानी को दिखाने का। यदि उनकी अभिनय क्षमता मजबूत होती है, तो एक अच्छी पटकथा लोगों के दिलों में जाती है और मजबूत अभिनय केवल हीरो और हीरोइन की ही नहीं होती है।
सभी अभिनेताओं जैसे कि पिता, सेवक, इंस्पेक्टर, डॉक्टर आदि की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसके बाद दो-सीने के सरजेंट या एक-सीने के डॉक्टर की भी भूमिका है, ये एक-दो सीने के अभिनेता शायद फिल्म को हिट नहीं बना सकते, लेकिन वे लोगों के दिलों में सबित हो जाते हैं। यदि ये एक-दो सीने के अभिनेता उच्च गुणवत्ता के न हों, तो सिनेमा की स्थिति खराब हो जाएगी, लेकिन हम तो स्पॉट बॉय कराते हैं इन एक-दो सीने के भूमिकाओं को,
हमारे पास एक ऑडिशन के लिए कोई प्रक्रिया भी नहीं है, हम थिएटर कलाकारों के पास भी जाने का प्रयास नहीं करते, मुझे कई थिएटर कलाकारों को जानता हूँ जो भोजपुरी नही करते, क्योंकि उन्हें कहा गया था कि वे 11 हजार में 10 दिन की काम करें, तो कहा जाए 21 कर दो लेकिन कोई स्पॉट बॉय उसे मुफ़्त में नहीं करेगा।
कला और अभिनय के आदान-प्रदान में असंतोष: भोजपुरी सिनेमा के पात्र अभिनेताओं ने उठाए सवाल
चरित्र अभिनेता फिल्म का माध्यम धारण करते हैं, यदि प्रतिभाशाली चरित्र अभिनेताओं को सिनेमा में महत्व नहीं दिया जाता है, तो चाहे सिनेमा में बजट कितना ही बढ़ा दिया जाए, परिणाम शून्य होगा। निर्देशक चाहेंगे कि वे उन्हें अपने अनुसार चरित्र अभिनेता मिले, पूरी तरह से चरित्र अभिनेता और पटकथा निर्देशक की हथियारें हैं। अगर हथियार कमजोर हो जाएं तो वह लड़ाई कैसे लड़ेगा।
Manoj Singh Tiger (मनोज टाइगर) ने कहा कि चरित्र अभिनेताओं को सबसे ऊचा होना चाहिए।इस बातचीत के बाद, भोजपुरी सिनेमा में चरित्र अभिनेताओं के महत्व को मान्यता मिलनी चाहिए। ये चरित्र अभिनेता न केवल फिल्मों को महत्वपूर्ण बनाते हैं, बल्कि उन्हें उच्च सम्मान देना चाहिए क्योंकि वे सिनेमा की मूलभूत ढाल होते हैं , इन चरित्र अभिनेताओं की उच्चतम कदर की जानी चाहिए। वे फिल्मों को रंगीन और मानोहारी बनाने में मदद करते हैं।
भोजपुरी सिनेमा में प्रतिभाशाली पात्र अभिनेताओं की अनदेखी पर विवाद: Manoj Singh Tiger की चिंता से उठा संशय
इस विचार-विमर्श के बाद, भोजपुरी सिनेमा को चरित्र अभिनेताओं की प्राथमिकता को स्वीकारनी चाहिए। यह नहीं कि केवल प्रमुख अभिनेताओं को ही महत्व दिया जाए, बल्कि हर छोटी-मोटी भूमिका के अभिनेता को सम्मान और मौका दिया जाए। इससे सिनेमा की गुणवत्ता और रंगीनता में वृद्धि होगी।
भोजपुरी सिनेमा को नई दिशा देने के लिए, इस समस्या का समाधान ढूंढना आवश्यक है। निर्माताओं को चरित्र अभिनेताओं के चयन पर विशेष ध्यान देना चाहिए और प्रतिभाशाली थिएटर कलाकारों के साथ सहयोग करना चाहिए। इससे न केवल फिल्मों की क्वालिटी बढ़ेगी, बल्कि यह सिनेमा के विशेष आदर्शों को उजागर करेगा और नई पीढ़ी को मार्गदर्शन करेगा।
Manoj Singh Tiger द्वारा उठाया विवाद, क्या भोजपुरी सिनेमा में होगा बदलाव प्रतिभाशाली अभिनेताओं के लिए?
Manoj Singh Tiger (मनोज टाइगर) की यह चिंता सिनेमा उद्योग के लिए एक सकारात्मक कदम है। यह उनकी चिंता दर्शाती है कि भोजपुरी सिनेमा को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिभाशाली पात्र अभिनेताओं को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि कुछ अच्छे निर्देशकों और अभिनेताओं ने अच्छा काम किया है, लेकिन उनके योगदान को समाज में सम्मान नहीं मिला है। इससे न केवल पात्र अभिनेताओं की मान्यता होगी, बल्कि सिनेमा की स्थिति और मान्यता भी बढ़ेगी।
Manoj Singh Tiger (मनोज टाइगर) ने भोजपुरी सिनेमा के सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व को बताया है। उनकी चिंता यह भी दर्शाती है कि सिनेमा को विभिन्न भूमिकाओं में काम करने वाले अभिनेताओं को उच्च सम्मान दिया जाना चाहिए। इससे सिनेमा की गुणवत्ता, सामाजिक प्रभाव और कला की अभिव्यक्ति में सुधार होगा।
भोजपुरी सिनेमा को आगे ले जाने के लिए, अभिनेताओं की प्रतिभा को महत्वपूर्ण बनाना ज़रूरी है। सिनेमा के निर्माताओं को अभिनय क्षमता के साथ सहयोग करना चाहिए और नई पीढ़ी को मौका देना चाहिए