Raksha bandhan 2023 : सावन की पूर्णिमा तिथि आज है, लेकिन इस दिन भद्रा काल का साया रहेगा। इसलिए आज राखी नहीं बांधी जा सकती। भद्रा काल आज सुबह 10:58 मिनट से शुरू होगा और रात 9:01 मिनट तक रहेगा। इसके बाद ही राखी बांधी जा सकती है।
भद्रा काल को अशुभ काल माना जाता है। इस समय कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है। इसलिए रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल में राखी बांधने से बचना चाहिए।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, भद्रा काल में राखी बांधने से भाई की उम्र कम होती है और भाई पर विपदा आती है। इसलिए इस दिन भद्रा काल समाप्त होने के बाद ही राखी बांधना चाहिए।
Raksha bandhan आज रात 9:01 मिनट के बाद राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा। ये मुहूर्त 31 अगस्त की सुबह 7:35 मिनट तक रहेगा। इस दौरान बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधकर उन्हें रक्षा का वचन दे सकती हैं।
भद्राकाल में क्यों नहीं बांधनी चाहिए राखी?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्राकाल में ही राखी बांधी थी, जिसके कारण रावण का अंत हुआ. रावण के पूरे कुल का विनाश हो गया. इस वजह से ही भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए. वहीं, एक मान्यता यह भी है कि भद्रा के वक्त भगवान शिव तांडव करते हैं और वो काफी क्रोध में होते हैं. उस समय कुछ भी शुभ कार्य करने पर शिव जी के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए भद्राकाल में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है.
रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधकर उन्हें रक्षा का वचन देती हैं। लेकिन ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है।
भद्राकाल को अशुभ काल माना जाता है। इस समय कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है। इसलिए रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल में राखी बांधने से बचना चाहिए।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्राकाल में ही राखी बांधी थी, जिसके कारण रावण का अंत हुआ। रावण के पूरे कुल का विनाश हो गया। इस वजह से ही भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए।
वहीं, एक मान्यता यह भी है कि भद्रा के वक्त भगवान शिव तांडव करते हैं और वो काफी क्रोध में होते हैं। उस समय कुछ भी शुभ कार्य करने पर शिव जी के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए भद्राकाल में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है।
भद्रा काल में क्या नहीं करना चाहिए
- भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, जैसे कि शादी, मुंडन, गृह प्रवेश, नए व्यवसाय की शुरुआत आदि।
- भद्रा काल में कोई भी नया काम शुरू नहीं करना चाहिए।
- भद्रा काल में यात्रा नहीं करनी चाहिए।
- भद्रा काल में कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लेना चाहिए।
भद्रा काल कब रहता है
भद्रा काल पूर्णिमा तिथि के बाद शुरू होता है और अमावस्या तिथि के पहले समाप्त होता है। भद्रा काल का समय हर दिन अलग-अलग होता है। इसलिए ज्योतिषाचार्यों से सलाह लेकर भद्रा काल के समय का पता करना चाहिए।
रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल समाप्त होने के बाद ही राखी बांधनी चाहिए।