भोपाल, 17 जून, 2024: पंडित प्रदीप मिश्रा और प्रेमानंद महाराज के बीच चल रहे विवाद ने धार्मिक जगत में हलचल मचा दी है। प्रदीप मिश्रा के राधा रानी को लेकर दिए गए बयान के बाद प्रेमानंद महाराज का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। विवाद को शांत करने के लिए मिश्रा की सफाई भी महाराज के गुस्से को कम नहीं कर पाई। आइए जानते हैं इस पूरे विवाद के बारे में विस्तार से।
विवाद की शुरुआत
प्रदीप मिश्रा ने अपनी एक कथा के दौरान राधा रानी के जन्म और विवाह को लेकर कुछ बयान दिए, जिसमें उन्होंने कहा कि राधाजी का जन्म रावल गांव में हुआ था और उनका विवाह अनय घोष से हुआ था। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि राधाजी बरसाने की रहने वाली नहीं थीं और वहां केवल वर्ष में एक बार जाती थीं। इन बयानों ने प्रेमानंद महाराज और उनके अनुयायियों को नाराज कर दिया।
राधा रानी के बयान पर बवाल: प्रेमानंद महाराज ने दी कड़ी चेतावनी, ‘तुझे नरक से कोई नहीं बचा सकता’
प्रेमानंद महाराज ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए 24 मिनट का एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने पंडित प्रदीप मिश्रा को जमकर खरी-खोटी सुनाई। महाराज ने कहा, “तुझे नरक से कोई नहीं बचा सकता। राधाजी के बारे में बोलने वाले को नरक में जगह मिलेगी। जिसे रस ग्रंथों का ज्ञान नहीं है, उसे लाड़लीजी के बारे में बोलने का अधिकार नहीं है। ऐसे कथावाचक न इस लोक के लायक रह जाएंगे न परलोक लायक रह जाएंगे।”
विवादित बयान के बाद प्रेमानंद महाराज ने दी चेतावनी, ‘राधा रानी के बारे में बोलने का अधिकार नहीं’
विवाद के बाद, पंडित प्रदीप मिश्रा ने सफाई देते हुए कहा कि वे राधारानी के अनन्य भक्त हैं और कथा वाचन से पहले बरसाने में राधारानी की 51 परिक्रमा की है। उन्होंने यह भी बताया कि गोवर्धन की भी कई परिक्रमा की हैं और शिवपुराण कथा से पहले राधा रानी का भजन गाते हैं। उनके बयानों का आधार ब्रह्मदेवत्व पुराण, राधा रहस्य और काली पीठ की पुस्तकों से लिया गया है।
सुलह की पहल
मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस विवाद को शांत करने के लिए पहल की। उन्होंने पंडित प्रदीप मिश्रा और प्रेमानंद महाराज के बीच सुलह कराई। मंत्री विजयवर्गीय ने खुद पंडित मिश्रा से मुलाकात की और प्रेमानंद महाराज से फोन पर बात कराते हुए मामले को सुलझाया।
इस विवाद ने धार्मिक और सामाजिक मंचों पर काफी ध्यान आकर्षित किया है। हालांकि कैलाश विजयवर्गीय के प्रयासों से मामला सुलझ चुका है, लेकिन यह घटना दर्शाती है कि धार्मिक बयानों को लेकर कितनी संवेदनशीलता होनी चाहिए। प्रदीप मिश्रा की सफाई और सुलह के बाद भी प्रेमानंद महाराज का गुस्सा बरकरार है, जिससे यह विवाद अभी पूरी तरह से शांत नहीं हुआ है।