भोपाल, 17 जून, 2024: भारतीय फिल्म जगत में विवादों का दौर कभी थमता नहीं दिखता, और अब यशराज प्रोडक्शंस और नेटफ्लिक्स द्वारा निर्मित फिल्म “महाराज” ने एक बार फिर से धार्मिक भावनाओं को आहत करने का काम किया है। वैष्णव संप्रदाय और सनातन धर्म के अनुयायियों के अनुसार, यह फिल्म उनके धर्म और मान्यताओं के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश है।
विवाद का मूल
“महाराज” फिल्म, जिसमें आमिर खान के बेटे जुनैद को लॉन्च करने की योजना है, को वैष्णव संप्रदाय के अनुयायियों ने खासतौर पर निशाने पर लिया है। राजीव लोचन महाराज ने इस फिल्म को सनातन धर्म और वैष्णव परंपरा के खिलाफ एक कुठाराघात बताया है। उनका कहना है कि फिल्म में मनगढ़ंत तथ्यों का सहारा लेकर हिंदू धर्म को बदनाम करने की कोशिश की गई है।
संत राजीव लोचन दास महाराज का बयान
संत राजीव लोचन दास महाराज, जो वैष्णव परंपरा के एक प्रमुख आध्यात्मिक प्रवक्ता हैं, ने कहा, “यह फिल्म बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक से नेटफ्लिक्स पर रिलीज करने की तैयारी कर ली गई थी। इस हरकत से सनातन धर्म को लेकर गलत मंशा स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। सदियों पहले मुगल शासकों ने सनातन धर्म पर प्रहार किया और अब उनके अनुयायी भी उसी नक्शे-कदम पर चल रहे हैं। हम इन मंशाओं को कभी सफल नहीं होने देंगे।”
फिल्म “महाराज” का विवादित आधार
यह फिल्म 1862 में हुए एक विवादास्पद मुकदमे पर आधारित है, जिसमें यदुनाथ जी बृजनाथ जी महाराज पर एक पत्रकार करसनदास मुलजी द्वारा सेक्सुअल गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाया गया था। इस मुकदमे में अंग्रेज जज ने सनातनी विचारों के खिलाफ फैसला सुनाया था। फिल्म निर्माताओं का दावा है कि वे एक किताब से प्रेरित होकर यह फिल्म बना रहे हैं, लेकिन उस किताब की मूल अवधारणा ही हिंदुत्व के खिलाफ एक साजिश मानी जा रही है।
गुजरात उच्च न्यायालय का हस्तक्षेप
गुजरात उच्च न्यायालय ने वैष्णव संप्रदाय के अनुयायियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यशराज फिल्म्स और नेटफ्लिक्स को नोटिस जारी किया और फिल्म की स्ट्रीमिंग को तत्काल रोकने का आदेश पारित कर दिया। फिल्म की स्ट्रीमिंग आज से शुरू होने वाली थी।
राजीव लोचन महाराज की अपील
राजीव लोचन महाराज ने कहा, “हमारी संस्कृति और धर्म को बदनाम करने की कोशिशें नई नहीं हैं। पहले मुगलों ने, फिर अंग्रेजों ने और अब ये आधुनिक समय के लोग हमारी धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। हम इनकी मंशाओं को कभी कामयाब नहीं होने देंगे।”
इस विवाद ने भारतीय समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं को एक बार फिर से प्रमुखता से उजागर कर दिया है। देखना होगा कि आगे इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाया जाता है और क्या फिल्म “महाराज” की स्ट्रीमिंग वास्तव में रुक पाएगी या नहीं।