राजस्थान में एसआई भर्ती परीक्षा 2021 में चल रहे खुलासों की कड़ी में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। जैसलमेर के फतेहगढ़ के एसडीएम हनुमान राम, जिन्हें पहले ही डमी कैंडिडेट बनकर परीक्षा देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, उन्होंने एसडीएम बनने के बाद भी एक नहीं, बल्कि दो बार डमी कैंडिडेट बनकर परीक्षा दी थी। पूछताछ में यह सनसनीखेज जानकारी सामने आई है कि हनुमान राम ने नरपतराम और रामनिवास नामक दो अलग-अलग अभ्यर्थियों की जगह परीक्षा दी थी।
एसडीएम बनने के बाद भी दिया फर्जी एग्जाम:
हनुमान राम ने आरएएस परीक्षा 2021 में शानदार प्रदर्शन करते हुए 22वीं रैंक हासिल की थी। जुलाई 2021 में परिणाम आने के बाद उन्हें एसडीएम के पद पर नियुक्ति मिली और दिसंबर में उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई थी। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि आरएएस बनने के बाद, सितंबर 2021 में, उन्होंने नरपतराम और रामनिवास की जगह फर्जी परीक्षार्थी बनकर एसआई भर्ती परीक्षा में हिस्सा लिया। एक आरएएस अधिकारी का इस तरह के कृत्य में शामिल होना अब तक का सबसे बड़ा खुलासा माना जा रहा है।
कैसे हुआ मामले का खुलासा:
इस पूरे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश तब हुआ जब जोधपुर पुलिस ने नरपतराम और उसकी पत्नी इंद्रा को गिरफ्तार कर एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) के हवाले किया। पूछताछ के दौरान नरपतराम ने खुलासा किया कि एसआई भर्ती परीक्षा में उसकी जगह हनुमान राम ने परीक्षा दी थी। इसके बाद, एसओजी ने जब हनुमान राम से गहन पूछताछ शुरू की, तो रामनिवास के लिए भी डमी कैंडिडेट बनने की जानकारी सामने आई।
एसआई भर्ती घोटाले में नया मोड़:
एसआई भर्ती घोटाले में अब तक अभ्यर्थियों, दलालों और कुछ कार्मिकों की भूमिका सामने आती रही थी। लेकिन यह पहला मौका है जब एक आरएएस स्तर का अधिकारी इस तरह के संगठित फर्जीवाड़े में सीधे तौर पर लिप्त पाया गया है। यह खुलासा न केवल भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है, बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को भी इंगित करता है।
एक दिन के रिमांड पर एसडीएम हनुमान राम:
एसओजी ने हनुमान राम को बुधवार देर रात जैसलमेर के फतेहगढ़ से हिरासत में लिया था। गुरुवार सुबह उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां एसओजी ने आठ दिन की रिमांड मांगी थी। हालांकि, कोर्ट ने फिलहाल हनुमान राम को एक दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है। एसओजी अब हनुमान राम को नरपतराम और इंद्रा के आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करेगी, जिससे इस पूरे षडयंत्र की परतों को खोला जा सके और यह पता लगाया जा सके कि इस फर्जीवाड़े में और कौन-कौन लोग शामिल हैं।
इस बड़े खुलासे ने राजस्थान की प्रशासनिक और भर्ती प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी का इस तरह के गैरकानूनी कृत्य में शामिल होना न केवल निंदनीय है, बल्कि यह व्यवस्था में मौजूद खामियों को भी उजागर करता है, जिनका फायदा उठाकर इस तरह के संगठित अपराधों को अंजाम दिया जाता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि एसओजी की आगे की जांच में और क्या-क्या खुलासे होते हैं और इस पूरे मामले में शामिल अन्य लोगों पर क्या कार्रवाई की जाती है।