आवाज के क्लोनिंग के जरिए बढ़ रहा ऑनलाइन धोखाधड़ी का खतरा : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की तेजी से बढ़ती प्रगति ने डिजिटल दुनिया को नए चुनौतियों का सामना करवा दिया है। वॉयस क्लोनिंग सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से साइबर ठगों के धांधे बढ़ रहे हैं, और अब आवाज की मिमिक्री के जरिए वे लोगों को धोखे से लूट रहे हैं। विश्वभर में यह नया ऑनलाइन धोखाधड़ी का खेल तेजी से बढ़ता जा रहा है और लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।
कैसे काम करता है वॉयस क्लोनिंग सॉफ्टवेयर?
वॉयस क्लोनिंग सॉफ्टवेयर एक AI आधारित तकनीक है, जिसमें साइबर ठग व्यक्ति की आवाज को डिजिटल रूप में क्लोन करते हैं। इसके लिए वे उन व्यक्तियों की आवाज सैंपल्स का उपयोग करते हैं जिनसे वे धोखा देने का प्रयास कर रहे हैं। धोखेबाज उन आवाज सैंपल्स को AI एल्गोरिदम के माध्यम से वॉयस क्लोनिंग सॉफ्टवेयर में डालते हैं, जो उन्हें उस व्यक्ति के जैसे आवाज की प्रतिक्रिया देने में मदद करता है। इस प्रक्रिया के चलते, उन्हें आवाज के अलावा उस व्यक्ति के ढंग से बोलने और जवाब देने की क्षमता होती है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा सक्षम ठगी के उदाहरण
वॉयस क्लोनिंग सॉफ्टवेयर के माध्यम से साइबर ठग लोगों को धोखेबाज़ी के लिए नए और सुपर चलाक तरीके विकसित कर रहे हैं। इसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
1. वॉयस क्लोनिंग के जरिए प्रेमिका बनना: वॉयस क्लोनिंग सॉफ्टवेयर के द्वारा, ठग एक व्यक्ति को उसकी प्रेमिका बताकर उससे धन की मदद मांग सकता है। यह धोखाधड़ी मासिक बिल्कुल वास्तविक जैसी दिखती है और आवाज की मिमिक्री व्यक्ति को भ्रमित कर देती है।
2. आवाज की नकल के जरिए बैंक का धोखा: ठग आपको आपके बैंक खाते से जु
ड़ी संवादों का आवाज का क्लोन बनाकर आपसे विभिन्न विवरण जांचने के लिए कह सकते हैं। इस तरह से वे आपकी निजी जानकारी का शोध करते हैं और धोखा देते हैं।
3. वॉयस क्लोनिंग के जरिए आधार कार्ड अपडेट: ठग आपको व्यक्तिगत जानकारी का अपडेट करवाने के लिए आवाज की मिमिक्री करते हैं, और इसका इस्तेमाल आपके आधार कार्ड या अन्य सार्वजनिक दस्तावेजों के साथ धोखाधड़ी के लिए किया जा सकता है।
सतर्कता है सुरक्षा की कुंजी
वॉयस क्लोनिंग से बचने के लिए लोगों को सतर्क रहना और धोखेबाजों के तर्कों को विश्लेषण करने की आवश्यकता है। आपको किसी भी अनजाने आदमी से अपनी निजी जानकारी शेयर नहीं करनी चाहिए, विशेष रूप से जब वो आपसे फोन पर आवाज के जरिए इसके लिए कहते हैं। अगर आपको संदेह होता है, तो अपने बैंक या आधार कार्ड के आधिकारिक नंबर पर संपर्क करके सत्यापन करें। साइबर सुरक्षा में जागरूकता होना आवश्यक है, ताकि हम साइबर ठगों के शिकार न बनें और अपने व्यक्तिगत और वित्तीय सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकें।