राजस्थान के पाली जिले के तख़तगढ़ स्थित त्रिकमदास जी धाम के पाँचवे आचार्य, युवाचार्य अभयदास जी महाराज इन दिनों अपने विचारों और बयानों के चलते सुर्खियों में हैं। महज 4 वर्ष की आयु में संन्यास ग्रहण करने वाले अभयदास जी ने न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन अपनाया, बल्कि अपने उपदेशों और विचारों के माध्यम से हिंदू धर्म और संस्कृति का प्रचार-प्रसार भी किया। उनके प्रवचन संस्कार टीवी जैसे प्रमुख चैनलों पर श्रीमद्भागवद कथा, श्रीराम कथा, नानी बाई का मायरा, और श्रीभक्तमाल कथा के रूप में प्रसारित होते हैं, जिससे उन्होंने एक बड़ी संख्या में अनुयायियों को प्रभावित किया है।
धार्मिक जीवन और सामाजिक सेवा
अभयदास जी महाराज न केवल धर्म के प्रति समर्पित हैं, बल्कि उन्होंने समाज के विकास के लिए भी कई कार्य किए हैं। आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों और युवाओं के लिए निःशुल्क आवासीय गुरुकुलों का निर्माण और संचालन कर रहे हैं, जिससे वे शिक्षा और संस्कारों का प्रसार कर रहे हैं।
हाल ही में, वे अपने एक बड़े प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा में आए हैं—राजस्थान के पाली जिले के तख़तगढ़ कस्बे में भारत माता की विश्व की सबसे ऊंची (405 फीट) प्रतिमा का निर्माण कर रहे हैं। इस परियोजना के तहत एक कौशल विकास और कल्याण केंद्र भी स्थापित किया जाएगा, जिससे युवाओं को रोजगार और प्रशिक्षण के अवसर मिलेंगे।
विवादित बयानों से सुर्खियों में
हालांकि, अभयदास जी महाराज की हालिया चर्चा उनके धार्मिक कार्यों से इतर, उनके विवादित बयानों को लेकर है। उन्होंने हाल ही में एक बयान दिया जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्थान के दुर्गों पर बनीं मुस्लिम मज़ारें और मस्जिदें हिंदू अस्मिता के खिलाफ एक साजिश हैं। उनका कहना है कि इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है और झूठी कहानियाँ गढ़ी गई हैं ताकि हिंदू इतिहास को धूमिल किया जा सके।
इस बयान ने उन्हें मीडिया और सोशल मीडिया पर विशेष रूप से चर्चा का विषय बना दिया है। उनके अनुयायी इसे हिंदू धर्म और गौरव की रक्षा का प्रयास मानते हैं, वहीं आलोचक इसे सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला मान रहे हैं।
बागेश्वर बाबा से संबंध
अभयदास जी महाराज का नाम बागेश्वर बाबा के साथ भी जुड़ चुका है। हाल ही में सिरोही के नीलकंठ महादेव भीनमाल कार्यक्रम में दोनों ने मंच साझा किया, जहां उन्होंने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए विचार साझा किए। बागेश्वर बाबा की तरह, अब अभयदास जी भी अपने मुखर विचारों और बयानों के कारण लगातार चर्चा में बने हुए हैं।
आगे की दिशा
चाहे धार्मिक कार्य हों या सामाजिक, युवाचार्य अभयदास जी महाराज का जीवन प्रेरणादायक रहा है। लेकिन विवादित बयानों ने उन्हें न केवल सुर्खियों में रखा है बल्कि उनके विचारों पर भी विभिन्न प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न की हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उनके इस धार्मिक और सामाजिक सफर का भविष्य किस दिशा में जाता है और वे किस प्रकार से अपने अनुयायियों और समाज के लिए योगदान देते हैं।