भारतीय न्याय प्रणाली में बदलाव के साथ, अब न्याय प्रक्रिया में तेजी आने की संभावना है। केंद्रीय सरकार ने यह नया प्रस्ताव दिया है कि 2027 तक सभी कोर्ट कंप्यूटराइजड होंगे, जिससे न्याय दिलाने की प्रक्रिया में बेहतरीन तेजी आ सके। यह कदम न केवल न्याय प्रणाली में मानव संसाधन की बचत करेगा, बल्कि न्याय दिलाने की गति में भी वृद्धि करेगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में संसद में प्रस्तुत तीन नए विधेयकों के साथ यह घोषणा की कि सभी कोर्ट कंप्यूटराइजड होने की तैयारी तक 2027 तक पूरी की जाएगी। इसका उद्देश्य न्याय प्रक्रिया को सुगम और तेज बनाना है, ताकि आम नागरिकों को न्याय मिलने में किसी भी प्रकार की देरी न हो।
इस प्रस्ताव के अनुसार, सभी कोर्ट कंप्यूटराइजड होने के बाद, केस की फाइलिंग से लेकर सुनवाई तक की प्रक्रिया सभी कंप्यूटरीकृत रूप में होगी। इससे फैसलों की तेज़ी में वृद्धि होगी और याचिकाएँ तेजी से सुनी जा सकेंगी।
सरकार का दावा है कि यह कदम केसों की लंबी प्रक्रिया को कम करेगा और न्याय दिलाने में बेहतरीन सुविधा प्रदान करेगा। कंप्यूटराइजेशन से, कोर्ट में चल रहे मामलों की स्थिति और सुनवाई की तिथि ऑनलाइन देखी जा सकेगी, जिससे वकीलों और प्रशासनिक कर्मचारियों का समय भी बचेगा।
यह नया प्रस्ताव न्याय प्रणाली के माध्यम से न्याय के पहुँच को भी बढ़ावा देने का हिस्सा है। यह एक प्रगतिशील और तेज न्याय प्रणाली की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है, जिससे आम नागरिकों को न्याय की प्राप्ति में और भी सुविधा मिलेगी।
इस प्रस्ताव के तहत सभी कोर्ट कंप्यूटराइजड होने की योजना न्याय प्रक्रिया में सुविधा और तेज़ी लाने के उद्देश्य से की गई है। यह नया
कदम न्याय सेवाओं को और भी पहुँचने में मदद कर सकता है और न्यायिक प्रक्रिया को मॉडर्न तकनीकों से जोड़कर उसे सुगम बना सकता है।