बीकानेर के मनमोहन सिंह राठौड़ ने Craftyther.com के ज़रिए राजस्थानी हस्तशिल्प को दी अंतरराष्ट्रीय पहचान, अमेरिका, यूके और ऑस्ट्रेलिया में है भारी डिमांड
राजस्थान, अपनी रंगीन संस्कृति, समृद्ध इतिहास और शानदार कला के लिए दुनियाभर में मशहूर है। यहाँ की कला और हस्तशिल्प सदियों से लोगों को आकर्षित करते रहे हैं। लेकिन आज के दौर में, जब वैश्वीकरण अपने चरम पर है, राजस्थानी कला को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी जगह बनाने के लिए नए आयामों की ज़रूरत है।
ऐसे में बीकानेर के एक साधारण परिवार से आने वाले मनमोहन सिंह राठौड़ ने एक मिसाल कायम की है। उन्होंने अपनी मेहनत, लगन और दूरदृष्टि से राजस्थानी कला को न सिर्फ़ देश में बल्कि विदेशों में भी पहचान दिलाई है।
Craftyther.com: राजस्थानी कला का वैश्विक मंच
मनमोहन सिंह राठौड़ ने Craftyther नामक एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की स्थापना की, जिसके ज़रिए उन्होंने राजस्थानी हस्तशिल्प को दुनियाभर के ग्राहकों तक पहुँचाया। उनकी कंपनी विशेष रूप से हैंडक्राफ़्टेड लेदर बैग्स बनाती है, जिनमें राजस्थानी कला का समावेश होता है। ये बैग्स अपनी उच्च गुणवत्ता, अनोखे डिज़ाइन और राजस्थानी कारीगरी के लिए जाने जाते हैं।
अमेरिका, यूके और ऑस्ट्रेलिया में है भारी डिमांड
Craftyther.com के उत्पादों की अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया और मध्य पूर्व के देशों में भारी डिमांड है। मनमोहन सिंह बताते हैं कि विदेशी ग्राहक राजस्थानी कला से काफी प्रभावित हैं और उनके उत्पादों को खूब पसंद कर रहे हैं। इससे न सिर्फ़ राजस्थानी कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है, बल्कि स्थानीय कारीगरों को भी रोज़गार के अवसर मिल रहे हैं।
कैसे हुई शुरुआत?
मनमोहन सिंह राठौड़ की कहानी संघर्ष और सफलता का एक बेहतरीन उदाहरण है। 27 अगस्त 1984 को बीकानेर में जन्मे मनमोहन सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बीकानेर के ही स्कूलों से प्राप्त की। उन्होंने बीकानेर महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री भी हासिल की।
2004 में, मनमोहन सिंह भारतीय सेना में शामिल हो गए। लेकिन 2008 में, अपनी माँ की बीमारी के कारण उन्हें सेना की नौकरी छोड़नी पड़ी। इसके बाद उन्होंने गुरुग्राम में IT Services , Digital Marketing की ट्रेनिंग ली और 2012 में इस क्षेत्र में काम करना शुरू किया।
हालांकि, मनमोहन सिंह का मन IT Services में नहीं लगा। उन्हें हमेशा से ही राजस्थानी कला और हस्तशिल्प में रुचि थी। COVID-19 महामारी के दौरान, जब पूरी दुनिया लॉकडाउन में थी, तब मनमोहन सिंह ने ई-कॉमर्स के ज़रिए अपने सपने को साकार करने का फैसला किया।
Craftyther.com की स्थापना
2020 में, मनमोहन सिंह ने Craftyther.com की स्थापना की। उनका मकसद था राजस्थानी कला को आधुनिक डिज़ाइन के साथ पेश करना और उसे वैश्विक बाज़ार तक पहुँचाना। उन्होंने अपने उत्पादों में राजस्थानी कारीगरी का खास ख्याल रखा और उन्हें ऐसे डिज़ाइन किए जो आज के समय की ज़रूरतों को पूरा करते हों।
स्थानीय कारीगरों को मिल रहा है रोज़गार
Craftyther.com के ज़रिए मनमोहन सिंह ने न सिर्फ़ अपने लिए बल्कि स्थानीय कारीगरों के लिए भी रोज़गार के अवसर पैदा किए हैं। वे स्थानीय कारीगरों से उत्पाद खरीदते हैं और उन्हें उचित मूल्य प्रदान करते हैं। इससे कारीगरों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है और राजस्थानी हस्तशिल्प को भी बढ़ावा मिल रहा है।
भविष्य की योजनाएँ
मनमोहन सिंह का विज़न स्पष्ट है: वे राजस्थानी हस्तशिल्प को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना चाहते हैं। वे Craftyther.com के माध्यम से और भी उत्पादों को जोड़ने की योजना बना रहे हैं, जिससे ग्राहक अधिक विकल्पों का आनंद ले सकें। इसके अलावा, वे स्थानीय कारीगरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की योजना बना रहे हैं, जिससे उनकी कौशल में सुधार हो सके।
प्रेरणा का स्रोत
मनमोहन सिंह राठौड़ की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर आप अपने सपनों के प्रति दृढ़ संकल्पित हैं और मेहनत करते हैं, तो सफलता अवश्य मिलेगी। उनकी यात्रा एक प्रेरणा है, जो हमें यह बताती है कि कैसे हम अपनी संस्कृति और कला को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत कर सकते हैं। Craftyther.com के माध्यम से मनमोहन ने न केवल अपने सपनों को पूरा किया है, बल्कि उन्होंने भारतीय हस्तशिल्प को एक नई पहचान भी दिलाई है। उनका उदाहरण यह साबित करता है कि यदि इच्छाशक्ति और मेहनत हो, तो किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
इस लेख में हमने मनमोहन सिंह राठौड़ की सफलता की कहानी को विस्तार से जाना। उन्होंने कैसे अपने जुनून को अपने पेशे में बदला और राजस्थानी कला को दुनियाभर में पहचान दिलाई। उनकी कहानी सभी के लिए प्रेरणादायक है, खासकर उन लोगों के लिए जो अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं और समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं।