लखनऊ। किस्तें न भर पाने पर ट्रक खिंचवाने की मनमानी इंडसइंड बैंक को भारी पड़ गई। लखनऊ स्थित राज्य उपभोक्ता विवाद एवं प्रतितोष आयोग ने बैंक पर 20 लाख रुपये का हर्जाना ठोका है। रामपुर जिले के तहसील मिलक निवासी इफ्तेखार खां द्वारा दायर मामले में यह सख्त फैसला सुनाया गया।
क्या है मामला?
इफ्तेखार खां ने रोजगार के लिए इंडसइंड बैंक से 5.7 लाख रुपये का लोन लेकर एक ट्रक खरीदा था। फरवरी 2020 में पीलिया की बीमारी के चलते वह कुछ किस्तें जमा नहीं कर पाए और करीब 1 लाख रुपये का बकाया हो गया।
मार्च 2020 में, जब इफ्तेखार बिहार से लौट रहे थे, बैंक ने बिना किसी नोटिस के उनका ट्रक खिंचवा लिया। इस घटना के बाद इफ्तेखार ने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन वहां से राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की।
कोर्ट का फैसला
आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने जिला उपभोक्ता आयोग के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि बैंक ने ग्राहक के अधिकारों का उल्लंघन किया है। बिना नोटिस ट्रक खिंचवाना कानूनन गलत है। आयोग ने बैंक को आदेश दिया कि वह दो महीने के भीतर इफ्तेखार खां को 20 लाख रुपये का हर्जाना अदा करे।
बैंक की मनमानी पर सख्त रुख
इस फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि फाइनेंस करने वाली कंपनियां और बैंक ग्राहकों के साथ अन्याय नहीं कर सकते। ट्रक खिंचवाने जैसे कदम उठाने से पहले नियमानुसार नोटिस देना और उचित प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है।
ग्राहकों के लिए सबक
अगर आपके साथ भी ऐसा अन्याय हुआ है, तो आप अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा सकते हैं। यह मामला साबित करता है कि कानून ग्राहकों के साथ है और मनमानी करने वाले संस्थानों पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
अब देखना होगा कि बैंक इस आदेश का पालन करता है या नहीं, लेकिन फिलहाल इफ्तेखार खां के लिए यह बड़ी जीत है।