तखतगढ़ (राजस्थान): आज तखतगढ़ में युवाचार्य स्वामी श्री अभयदास जी महाराज के पावन जन्मोत्सव पर एक ऐतिहासिक आयोजन हुआ। इस मौके पर ‘वनवासी शक्ति दिवस’ का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों वनवासी भाई-बहन एकत्रित हुए। यह दिन एक नई शुरुआत का प्रतीक बनकर उभरा, जिसमें समाज में एकता और समानता का संदेश दिया गया।
स्वामी अभयदास जी के नेतृत्व में यह आयोजन न सिर्फ वनवासी समाज को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए किया गया, बल्कि जातिवाद, ऊंच-नीच की कुरीतियों को खत्म करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हुआ। स्वामी जी ने कहा, “हम सभी को वनवासी बंधुओं की भाषा, संस्कृति और विचारों को समझना होगा और उनका सम्मान करना होगा। यह त्यौहार हमें यही संदेश देता है।”
बड़े कदम उठाए गए
इस आयोजन में कई बड़े प्रकल्पों की घोषणा की गई:
- गुरुकुल निर्माण: वनवासी बंधुओं के बच्चों के लिए शिक्षा का बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए गुरुकुल का निर्माण किया जा रहा है।
- जातिवाद का अंत: समाज में फैल रहे जातिवाद को खत्म करने और धर्मांतरण कर चुके वनवासियों को फिर से मुख्यधारा में जोड़ने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
- भोजन और भजन में समानता: हिंदू समाज को एकजुट करने के लिए यह तय किया गया कि किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा, चाहे वह भोजन में हो या भजन में।
- मंदिरों में जाति का भेद खत्म: उन मंदिरों में जाति के आधार पर प्रवेश पर रोक लगाने का फैसला लिया गया, जहां इस कुप्रथा का पालन हो रहा था।
- बलि प्रथा और शराब चढ़ाने पर रोक: कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाते हुए, बलि प्रथा और शराब चढ़ाने पर रोक लगाने की मुहिम शुरू की जाएगी।
संतों का आशीर्वाद
इस पहल को लेकर देशभर के संतों ने बधाई दी। गोवा के पद्म श्री सम्मानित सद्गुरु ब्रह्मेशानंदाचार्य स्वामी, आचार्य लोकेश मुनि, देवकीनंदन जी, दाती महाराज और अन्य संतों ने इस मुहिम को सराहा और इसका समर्थन किया।
इस आयोजन ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि अगर समाज के लोग एकजुट हों, तो किसी भी कुरीति को खत्म किया जा सकता है। स्वामी अभयदास जी के जन्मोत्सव पर हुआ यह आयोजन वनवासी समाज के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है।