चित्तौड़गढ़ दुर्ग में 25 नवंबर को एक ऐतिहासिक दिन लिखा जाएगा। करीब 493 साल बाद यहां फतेह प्रकाश महल में मेवाड़ के राजपरिवार की गद्दी पर राजतिलक की परंपरा निभाई जाएगी। इस बार ये खास मौका है विश्वराज सिंह मेवाड़ का, जो एकलिंगनाथजी के 77वें दीवान के रूप में गद्दी संभालेंगे।
राजसी ठाठ और परंपराओं का संगम
सुबह 6:30 बजे से हवन और यज्ञ के साथ इस भव्य आयोजन की शुरुआत होगी। चित्तौड़गढ़ की हवाओं में शंखनाद और मंत्रोच्चार गूंजेगा। इसके बाद विश्वराज सिंह पहले गद्दी पर बैठेंगे, फिर पगड़ी धारण करेंगे। आयोजन में प्रदेशभर के राजघरानों के मुखिया, सांसद, विधायक, और करीब 10 हजार से ज्यादा लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।
चित्तौड़गढ़ में जश्न का माहौल
जौहर स्मृति संस्थान इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के लिए दिन-रात जुटा है। महामंत्री तेजपाल सिंह ने बताया कि राजतिलक की रस्म के बाद विश्वराज सिंह उदयपुर के राजमहल जाएंगे, जहां वे धूणी के दर्शन करेंगे। इसके बाद एकलिंगनाथजी के दर्शन कर समोर बाग में रंग दस्तूर की परंपरा निभाई जाएगी।
इतिहास का हिस्सा बनने का मौका
चित्तौड़गढ़ वासियों के लिए यह गर्व का पल है। सभी को आयोजन में शामिल होने का न्योता दिया गया है। आयोजन स्थल पर हर किसी के लिए खाने-पीने और बैठने की विशेष व्यवस्था की गई है।
फतेह प्रकाश महल में क्यों हो रहा आयोजन?
पहले ये आयोजन राजटीले पर होता था, लेकिन अब बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने के चलते इसे फतेह प्रकाश महल में रखा गया है। यहां का विशाल परिसर हर किसी के लिए सुविधाजनक रहेगा।
चित्तौड़गढ़ के इतिहास में ऐसा मौका शायद ही दोबारा देखने को मिले। राजसी परंपराओं से सजा ये दिन हर किसी के लिए यादगार बनने वाला है!