आजकल बैंकिंग धोखाधड़ी की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। लाखों आम लोग अपने बैंक खातों और डिजिटल लेन-देन के जरिए शिकार हो रहे हैं। सवाल यह उठता है कि क्या बैंकों और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की नीतियां इस समस्या से निपटने में नाकाम हो रही हैं?
धोखाधड़ी के बढ़ते आंकड़े:
साल 2023-24 के दौरान बैंकिंग फ्रॉड के मामले रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। ऑनलाइन बैंकिंग, मोबाइल वॉलेट और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते समय लोगों को धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ रहा है। सिर्फ छोटे शहरों में ही नहीं, बल्कि बड़े महानगरों में भी इस तरह की घटनाएं रोज सामने आ रही हैं।
RBI और सरकारी संस्थाओं ने डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए थे, लेकिन ऐसा लगता है कि इन नीतियों की कमजोरियां अब खुलकर सामने आ रही हैं।
सुनील दत्त गोयल का दृष्टिकोण:
स्टॉक मार्केट के दिग्गज और इंडस्ट्री एक्सपर्ट सुनील दत्त गोयल का मानना है कि सरकार और RBI के मौजूदा सिस्टम में गंभीर खामियां हैं। उनके अनुसार, “सरकार और बैंकिंग नियामकों ने डिजिटलीकरण को तो बढ़ावा दिया, लेकिन इसके साथ जुड़े जोखिमों को ठीक से समझा नहीं गया। साइबर सुरक्षा और बैंकों की KYC प्रक्रियाएं बेहद कमजोर हैं। इससे अपराधियों को फायदा उठाने का मौका मिल रहा है।”
नीतियों की विफलता:
RBI द्वारा लागू की गई सुरक्षा उपायों, जैसे दो-फैक्टर ऑथेंटिकेशन और OTP, के बावजूद, धोखाधड़ी करने वाले अपराधी इन उपायों को आसानी से दरकिनार कर रहे हैं। सिम स्वैपिंग, फिशिंग, और बैंकिंग ट्रोजन जैसे साइबर अपराध आम होते जा रहे हैं।
सुनील दत्त गोयल का कहना है कि बैंकों और सरकार को न केवल टेक्नोलॉजी में सुधार की जरूरत है, बल्कि बैंकिंग सिस्टम को और मजबूत करने के लिए कठोर कानूनी कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा, “सिर्फ ग्राहकों को सावधान करने से काम नहीं चलेगा। बैंकों को अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा और ग्राहकों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।”
भविष्य की चुनौतियां:
हालांकि, सरकार और RBI ने साइबर क्राइम से निपटने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इन्हें और कारगर बनाने की जरूरत है। बैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता, फ्रॉड डिटेक्शन सिस्टम का उन्नयन और ग्राहकों की सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।
अंततः, बैंकिंग फ्रॉड की बाढ़ तभी थमेगी जब सरकार और RBI ठोस सुरक्षा उपायों और नई नीतियों को लागू करेंगे, जिससे ग्राहकों को विश्वास हो सके कि उनके वित्तीय लेन-देन सुरक्षित हैं।