टेलीविजन की चमक-दमक से इतर, क्रिकेट का जुनून
टेलीविजन की दुनिया में अपनी दमदार पहचान बना चुकीं गीतांजलि मिश्रा, जो एण्डटीवी के लोकप्रिय शो ‘हप्पू की उलटन पलटन’ में दबंग दुल्हनिया राजेश की भूमिका निभा रही हैं, असल जिंदगी में भी एक दबंग महिला हैं। जब कैमरे से दूर होती हैं, तो ये प्रतिभाशाली अभिनेत्री अपने शौक, क्रिकेट, में डूब जाती हैं।
क्रिकेट खेलना और देखना, गीतांजलि का ऐसा जुनून है जो उनके उत्साह को बढ़ाता है। चाहे वो स्टेडियम में अपनी पसंदीदा टीम का उत्साह बढ़ाना हो, खेलों पर चर्चा करना हो या फिर क्रिकेट के शौकीन दोस्तों के साथ खेलना हो, क्रिकेट के लिए उनका प्यार बेपनाह है। और इसी जुनून के चलते उन्हें हाल ही में अपने पसंदीदा क्रिकेटरों में से एक, वेंकटेश अय्यर से मिलने का भी मौका मिला!
क्रिकेट: जुनून और खुशी का स्रोत
अपने क्रिकेट प्रेम के बारे में बताते हुए गीतांजलि मिश्रा, उर्फ राजेश, कहती हैं, “एक्टर होने के नाते मेरी जिंदगी में अक्सर स्क्रिप्ट, सेट और रिहर्सल होती रहती है। लेकिन इस व्यस्तता के बीच क्रिकेट का जुनून मुझे असीम आनंद देता है। मनोरंजन उद्योग की चमक-दमक से बाहर क्रिकेट के मैदान पर मुझे शांति और नई ऊर्जा मिलती है। क्रिकेट खेलना मेरे लिए सिर्फ शौक नहीं है, यह मेरा प्यार है और मुझे सादगी और शुद्धता से जोड़ता है। गेंद और बल्ले की टक्कर से पैदा होने वाली आवाज में कुछ जादू जैसा होता है। टीम के खिलाड़ियों की दोस्ती और स्कोर का पीछा करने या बचाव करने का रोमांच शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।”
गीतांजलि आगे कहती हैं, “चाहे रविवार की दोपहर में दोस्तों के साथ कैजुअल खेलना हो या कोई ज्यादा व्यवस्थित मैच, क्रिकेट खेलने से मिलने वाली खुशी का कोई सानी नहीं है। अपने व्यस्त शेड्यूल के बावजूद मैं इसके लिए समय निकाल ही लेती हूं। यह कसरत या प्रतियोगिता के लिए नहीं है, बल्कि मुझे अपनी पसंद के खेल में खो जाने का जुनून रहता है। क्रिकेट मुझे जमीन से जोड़े रखता है, संतुलन के महत्व की याद दिलाता है और जीवन की छोटी-छोटी खुशियों को मेरी पसंद बनाता है।”
वेंकटेश अय्यर से मुलाकात: एक सुखद सरप्राइज
गीतांजलि ने यह भी बताया कि क्रिकेट के प्रति उनके जुनून ने ही उन्हें क्रिकेटर वेंकटेश अय्यर से मिलाया। वह कहती हैं, “क्रिकेट मुझे हमेशा चकित करता है और ऐसे ही एक खुशनुमा सरप्राइज में से एक था वेंकटेश अय्यर से मिलना। क्रिकेट में उनकी कुशलताएं मुझे हमेशा से पसंद रही हैं और मैं वही देख रही थी। पिछले साल मुंबई के एक क्रिकेट लीग ट्रेनिंग कैंप में हमारा आमना-सामना हुआ था। सबसे अच्छी बात मुझे यह लगी कि हम दोनों को चाय पसंद है। हम दोनों ने किसी फाइव-स्टार रेस्टोरेंट में जाने के बजाय सड़क किनारे एक चाय की टपरी पर जाना पसंद किया। इससे पता चलता है कि वेंकटेश कितने विनम्र और सहज हैं। मुझे उनका व्यवहार बहुत पसंद आया। मुझे हमेशा ऐसे लोग अच्छे लगे हैं जो सफल होने के बावजूद जमीन पर रहते हैं और वेंकटेश में यह शान