श्रीगंगानगर, राजस्थान : राजस्थान विधानसभा चुनाव के मैदान में एक दिहाड़ी मजदूर, तीतर सिंह, ने अपनी जिद और साहस से सबको हेर-फेर कर दिया है। इस 78 वर्षीय उम्मीदवार ने अब तक 31 बार हार का सामना किया है, लेकिन उनकी आत्मविश्वासशीलता और हौसला इस बार भी उच्च हैं, जब वह 32वीं बार चुनावी रिंग में उतरेंगे।
दिहाड़ी मजदूर की आवाज, राजस्थान में तहलका मचा रही
तीतर सिंह, जो MGNREGA के जरिए अपना जीवनयापन चला रहे हैं, ने कहा, “मुझे वोट देना लोगों की पसंद पर निर्भर है. अगर वे मुझे अपने प्रतिनिधि के रूप में देखना चाहते हैं तो वे मुझे वोट देंगे.” इससे साफ है कि तीतर सिंह ने आम जनता के बीच अपनी गहरी जड़ें बना रखी हैं।
महत्वपूर्ण मुद्दों पर जोर देने वाले दिहाड़ी मजदूर
तीतर सिंह ने अपने चुनावी हलफनामे में गरीबी, भूमिहीनता, और गैर-प्रतिनिधित्व के मुद्दों पर जोर दिया है। उनका कहना है, “कोई भी सरकार गरीबों की दुर्दशा नहीं समझती है. वे हमें और हमारे मुद्दों को हल्के में नहीं लेते हैं, इसलिए मैंने हर बार लड़ने का फैसला किया.”
सोशल जस्टिस के लिए उतरे दिहाड़ी मजदूर
तीतर सिंह ने अपने बयान में कहा, “हमारे पास कोई जमीन या संपत्ति नहीं है, लेकिन हम जीवन चलाने में सक्षम हैं. कई बार जमानत जब्त होने के बावजूद हमें किसी भी वित्तीय समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है.” उनकी आवाज गरीबों, वंचित वर्ग के लिए हौंसला और आत्मविश्वास से भरी है।
राजनीतिक यात्रा में नए मोड़ की प्रारंभिकी
तीतर सिंह ने राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 1970 में की थी, और उन्होंने तब से हर चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाई है। उनकी यह लड़ाई सिर्फ एक सीट के लिए नहीं है, बल्कि एक समृद्धि और सामाजिक न्याय की मांग के रूप में भी उभर रही है।