भारतीय न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन की घड़ी आई है। देश में लगभग 163 साल से लागू रहने वाली भारतीय दण्ड संहिता (IPC) को बदलकर नए कानूनों की दिशा में कदम बढ़ा गया है। इस महत्वपूर्ण कदम के साथ, देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को सुधारने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
भारतीय संविधान की मानव अधिकारों और न्याय के मूल सिद्धांतों के साथ धीरे-धीरे अवगत होते देश में, यह कदम नये समय की मांग था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन पर तीन विधेयक पेश किए, जिनमें भारतीय न्याय संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य विधेयक शामिल हैं। ये विधेयक संसद की मंजूरी के बाद भारतीय दण्ड संहिता की जगह ले लेंगे, जिससे देश में न्याय प्रणाली में सुधार होगा।
इसके साथ ही, राजद्रोह कानून की खत्मी की घोषणा भी की गई है। यह कानून विवादों की निगाह में रहा है और इसे खत्म करने का फैसला केंद्र सरकार ने लिया है। राजद्रोह कानून के तहत लोगों को आपत्तिजनक भाषण या साहित्य के कारण जेल भेजा जा सकता था, लेकिन नए कानूनों में ऐसे मामलों को देखा जाएगा जहाँ आपत्तिजनक भाषण के आधार पर सजा की प्रक्रिया की जाएगी।
गृहमंत्री अमित शाह ने ये बदलावों के साथ दावा किया है कि नए कानून बनने के बाद आपराधिक मुकदमों में दोषियों को सजा मिलने का अनुपात 90% तक बढ़ जाएगा। यह नए कानूनों के उद्देश्य का एक हिस्सा है, जिससे न्याय प्रणाली में तेजी आएगी और दोषियों को जल्दी से सजा मिलेगी।
नए कानूनों के तहत कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। सजा की प्रक्रिया में सुधार करने के लिए तय किए गए हैं कि दोषियों की संपत्ति कुर्क करने का फैसला पुलिस अधिकारी नहीं करेंगे, बल्कि इ
सके लिए एक न्यायिक अधिकारी की स्वीकृति आवश्यक होगी। इसके अलावा, आपराधिक मुकदमों में तय की गई सजा का विवादों में अपील करने का अधिकार भी दिया गया है।
यह नए कानूनों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जो देश की न्याय प्रणाली को और भी उत्तम और प्रभावी बनाने की दिशा में है। नए कानूनों के प्रारंभ से लागू होने की प्रक्रिया में इसे संसदीय कमेटी की स्क्रूटनी भी की जाएगी, जिससे सुनिश्चित होगा कि यह सभी प्रतिष्ठित मानवाधिकारों और संविधानिक मूलांकन के साथ संगत है।
इस परिवर्तन के साथ, भारतीय न्याय प्रणाली की एक नई दिशा की शुरुआत हो रही है, जिसका उद्देश्य दोषियों को तेजी से सजा दिलाना और न्याय प्रणाली को और भी प्रभावी बनाना है। यह देश के न्यायिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण और प्रेरणास्त्रोत है, जिससे समाज में न्याय की मान्यता और आत्मविश्वास बढ़ेगा।