जयपुर: राजस्थान के सियासी संग्राम में एक बड़ा त्रिकोणीय संघर्ष चल रहा है, जिसमें भाग लेने वाले मुख्य खिलाड़ी हैं मंत्री राजेंद्र गुढ़ा। उनके बर्खास्त होने के बाद, उनकी जीत की कहानी का सिलसिला चलता है। उनका ‘गणित’ उन्हें एक सफल राजनीतिक दल के रूप में सिद्ध कर सकता है या फिर नए संघर्षों के रास्ते पर ले जा सकता है।
राजस्थान में कांग्रेस के विरोधी पक्ष ने उन्हें बड़ी मुश्किल में डाल दिया है। उनके विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विरोध में खड़ा होने के मामले में एक के बाद एक विवादास्पद बयान देने के कारण उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया। लेकिन इस घटना ने उनके राजनीतिक करियर में नई राह खोल दी है।
ओवैसी की पार्टी या बसपा, किसके साथ उतरेंगे गुढ़ा चुनाव रिंग में?
राजेंद्र गुढ़ा का राजनीतिक सफर दो बार की विधानसभा चुनावों में बसपा के टिकट से जीत के साथ शुरू हुआ था। उन्हें दोनों बार बसपा के टिकट से मिला मौका और दोनों बार वे जीत भी गए। यह सबकुछ उनके समर्थकों के लिए एक सफलता की कहानी थी, लेकिन जब वे 2018 में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े तो उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस से शामिल हो लिया और दोनों बार मंत्री भी बने। इससे यह साबित हो गया कि गुढ़ा का गणित खुद उनके लिए कितना विशेष है।
मंत्री बर्खास्त होने के बाद राजेंद्र गुढ़ा का राजनीतिक सफर में नया मोड़!
गुढ़ा की जीत की कहानी उदयपुरवाटी विधानसभा में जुड़ी है। यह विधानसभा उनके लिए त्रिकोणीय संघर्ष के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह दोनों बार इस विधानसभा सीट से चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। इस विधानसभा के जातिगत और राजनीतिक समीकरण ने उन्हें यह बढ़ी सावधानी से देखने के लिए मजबूर किया है कि वे कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के टिकट से चुनाव नहीं लड़कर आने वाले चुनाव में ताकतवर विरोधी दलों के साथ चुनाव लड़ें। इसलिए उन्होंने ओवैसी के साथ मुलाकात की और इसके बाद भी उनकी नजरें निर्दलीय दलों के ओर हैं।
उन्होंने कहा है कि अगर उन्हें न तो बसपा के टिकट से मौका मिलता है और न ही कांग्रेस के साथ जुड़ने का मौका मिलता है, तो उन्हें निर्दलीय दलों के साथ चुनाव लड़ने का भी विकल्प है। वे बातचीत में हैं कि उन्हें नए रास्ते पर निकलने की तैयारी है। यह विकल्प उन्हें राजस्थान की सियासी मैदान में एक बड़ी राजनीतिक ताकत बना सकता है और उन्हें अधिक समर्थन मिल सकता है।
राजेंद्र गुढ़ा के साथ जुड़ सकते हैं निर्दलीय दल: राजनीतिक सूत्र
गुढ़ा ने गहलोत सरकार के खिलाफ उठाए गए मुद्दों पर भी चर्चा की है, जिससे कि उन्हें कांग्रेस के साथ रहने की जरूरत नहीं है। उन्होंने दावा किया है कि उन्हें खुद कांग्रेस के साथ रहने की इच्छा नहीं है और उन्हें अब खुद नहीं चाहिए कि वे कांग्रेस के साथ रहें। इससे साफ है कि उन्हें अब नए संघर्षों की तलाश है।
विधानसभा चुनाव में नए मोड़ पर राजेंद्र गुढ़ा, क्या होगा अगला कदम?
जब राजेंद्र गुढ़ा विधानसभा में वापस पहुंचेंगे, तो वह कांग्रेस के खिलाफ एक और मोर्चा खोलेंगे। उन्हें यह दिखाने के लिए कि कांग्रेस उन्हें पार्टी से भी बाहर कर दे, वह कांग्रेस को उन्हें पार्टी से निकालने के लिए रास्ता दिखाएंगे। इससे पहले उन्होंने कांग्रेस को सावधान किया है कि उन्हें खुद कांग्रेस से निकालने की जरूरत नहीं है, उन्हें बाहर निकालने की इच्छा उन्हें भाजपा के साथ रहने की जरूरत से है।
गुढ़ा का गणित दिखा रहा है कि उन्हें विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से सफलता हासिल करने के लिए वह खुद को नए संघर्षों के रास्ते पर ले जा सकते हैं। यह विधानसभा चुनाव में उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, जो उन्हें राजस्थान की सियासी मैदान में एक शक्तिशाली राजनीतिक दल के रूप में स्थापित कर सकता है।