Gangster Mukhtar Ansari: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के गुंडों की हत्याओं का एक अद्वितीय सच सामने आया है। यह कहानी एक क्रिकेट मैच से शुरू होती है, जो शहर में आयोजित हुआ था। इस मैच के दौरान एक आपराधिक वारदात की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की और इसके बाद कई गंभीर खुलासे सामने आए।
क्रिकेट मैच के दौरान आपराधिक गुंडों की एक संगठन ने मौके पर गोलीबारी की, जिससे बवाल मच गया। पुलिस की पहुंच तत्पर थी और वे तत्काल कार्रवाई करने के लिए जगह पर पहुंच गए।
मुख्तार अंसारी के गैंग के बंदूकधारियों की कहानी, उत्पात और वारदातों का सिलसिला
जब पुलिस ने गुंडों की छानबीन की, तो पता चला कि इन आपराधिकों का मुख्तार अंसारी से गहरा संबंध है। मुख्तार अंसारी, पूर्व बहुमती विधायक और उत्तर प्रदेश के अंसारी परिवार के प्रमुख, उत्तर प्रदेश में अपनी गुंडागर्दी के लिए मशहूर हैं।मुख्तार के शूटर कभी पुलिस तो कभी विरोधी गैंग की गोली का ही शिकार नहीं हो रहे थे, बल्कि क़ानून का डंडा भी उन पर बरसने लगा था। मुख्तार के करीबी श्याम बाबू पासी को आठ साल की सजा हुई। पिछले 6 साल में गैंग के 202 लोगों को पुलिस और एसटीएफ ने मिलकर सलाखों के पीछे पहुंचाया। मुख्तार का एक और करीबी अंगद राय बिहार जेल में बंद है। अनुज कन्नौजिया फरार है।
मुख्तार अंसारी के सबसे ख़ास शूटरों में शुमार संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की भी बुधवार को लखनऊ की अदालत में पेशी के दौरान हत्या हो गई। वकील के वेश में आए हत्यारे ने उसको छह गोलियां मारीं। इस हत्या से मुख्तार के फायर पावर की एक और अहम कड़ी टूट गई है। जरायम की दुनिया में अब सिर्फ एक ही चर्चा है कि अगला नंबर किसका होगा?
मुख्तार अंसारी के गैंग के बंदूकधारियों की कहानी, उत्पात और वारदातों का सिलसिला
Gangster Mukhtar Ansari Member Story: तारीख थी 29 नवंबर 2005, प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की अगुवाई वाली सरकार सत्ता में थी। गाजीपुर के मोहम्मदाबाद से बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय एक क्रिकेट मैच का उद्घाटन कर बसनिया गांव से गुजर रहे थे। एक साल पहले ही मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को चुनाव में हराया था कृष्णानंद ने।
बसनिया के पास कृष्णानंद राय का काफिला पहुंचा ही था कि चारों ओर से गोलियां चलने लगीं। दर्जनों एके-47 गोलियां बरसा रही थीं। कुछ ही देर में कृष्णानंद राय और उनके सुरक्षाकर्मी समेत सात लोग मारे जा चुके थे। यह पहली बार नहीं था कि यूपी में कोई विधायक गोली का शिकार हुआ। सनसनीखेज था 400 से अधिक गोलियां चलना। यूपी के इतिहास में किसी हत्याकांड में इतनी गोलियां नहीं चली थीं। आरोप लगा माफिया और विधायक मुख्तार अंसारी पर। यह हत्याकांड मुख्तार के पास शूटरों के खतरनाक गैंग और आधुनिक हथियारों के जखीरे की कहानी कह रहा था।
यह ऐसा हत्याकांड था, जिसकी भनक एसटीएफ को पहले लग गई थी। कृष्णानंद राय बुलेटप्रूफ गाड़ियों के काफिले में चलते थे। इसलिए मुख्तार गैंग सेना के एक भगोड़े से एलएमजी खरीदने का प्रयास कर रहा था, जो बुलेटप्रूफ गाड़ी को भी चीर दे। इससे पहले कि मुख्तार सफल होता, सेना के उस भगोड़े को डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने गिरफ्तार कर लिया। हत्या की साजिश की कॉल भी उन्होंने इंटरसेप्ट कर ली। लेकिन, मुख्तार के रसूख और पहुंच के चलते शैलेंद्र सिंह को नौकरी छोड़नी पड़ गई।
मुख्तार के अपराधों और वारदातों की लंबी फेहरिस्त में इस हत्याकांड का ज़िक्र यूं ही नहीं हो रहा। 2004-2005 के बीच कृष्णानंद राय के करीब 20 करीबियों की हत्या हुई। शक की सुई मुख्तार की ओर घूमी, लेकिन उसका कुछ नहीं बिगड़ा। सीबीआई जांच में मुख्तार और उसके गुर्गे बरी कर दिए गए। लेकिन, इस हत्याकांड के बाद मुख्तार का गैंग एक ऐसी मुसीबत में फंसा, जिसका उसे अंदाज़ा नहीं था। मुख्तार ख़ुद तो जेल की सलाखों के पीछे सुरक्षित रहा, लेकिन उसके गुर्गे शूटर एक-एक कर गोलियों का निशाना बनाए जाने लगे।
कृष्णानंद राय हत्याकांड के बाद सबसे पहले पुलिस की गोलियों का शिकार बना नौशाद कुरैशी। जौनपुर में पुलिस ने मुठभेड़ में उसे मार गिराया। उसके पास से पाकिस्तान की स्टार पिस्टल बरामद हुई थी। बताया गया था कि काफिले पर गोली चलाने वालों में वह भी शामिल था। मुख्तार के सबसे करीबी साथी, अताउर्रहमान उर्फ बाबू उर्फ सिकंदर और शहाबुद्दीन और शूटर विश्वास नेपाली ऐसे अंडरग्राउंड हुए कि उन्हें आज तक पुलिस और सीबीआई तलाश नहीं पाई हैं।
मुख्तार अंसारी के दाएं हाथ हाथ मुन्ना बजरंगी के करीबी कृपा चौधरी को 30 जुलाई 2006 में यूपी एसटीएफ ने मुंबई के डी मॉल के पास मुठभेड़ में मार गिराया। यह मुख्तार गैंग को दूसरा बड़ा झटका था। कृपा मुंबई में पहचान बदल कर रह रहा था। गैंग के लिए उसने कई शूटआउट को अंजाम दिया था। इसके बाद नंबर आया वाराणसी में काम संभालने वाले शूटर रमेश यादव उर्फ बाबू का। पुलिस पर हमला कर भागने की कोशिश में वह ढेर हो गया। इससे पहले एक और शूटर अनुराग त्रिपाठी उर्फ अन्नू को वाराणसी जेल के अंदर उसके ही एक परिचित ने गोलियों से भून दिया था। इस मामले में भदोही के बाहुबली विजय मिश्रा का नाम सामने आया था।
कृष्णानंद राय की हत्या के बाद बढ़े दबदबे के बीच मुख्तार ने अपने गैंग का विस्तार पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान सहित 7 राज्यों में कर लिया था। पंजाब और सटे राज्यों में उसका साम्राज्य आगे बढ़ाने में सबसे अहम भूमिका थी पंजाब के गैंगस्टर जसविंदर सिंह रॉकी की। वाराणसी के नंद किशोर रूंगटा अपहरण कांड में भी वह मुख्तार के साथ अभियुक्त था। रॉकी के ज़रिए यूपी के शूटर बाहर के राज्यों में और पंजाब के शूटर्स का इस्तेमाल यूपी में वारदात के लिए किया जाने लगा।
साल 2016 में रॉकी को हिमाचल प्रदेश के परवाणु में गोलियों से भून दिया गया। उसकी हत्या कराने में पांच संदिग्धों के नाम सामने आए। ये सभी एक-एक करके अननैचुरल मौत का शिकार हुए। किसी की भी मौत में हत्या की बात सामने नहीं आई, लेकिन किसी की मौत नैचुरल भी नहीं थी। इन पांचों की मौत के पीछे चर्चाओं में मुख्तार अंसारी गैंग का नाम आया, लेकिन स्थापित नहीं हो पाया।
मुख्तार को सबसे बड़ा झटका लगा 2018 में। 9 जुलाई 2018 को उसके गैंग के ‘सेनापति’ मुन्ना बजरंगी को बागपत जेल में गोलियों से भून दिया गया। जेल में स्वाद के लिए मछली का तालाब खुदवाने और सलाखों को ऐशगाह बनाने वाले मुख्तार के पांव पहली बार कैद में कांपे। इसके बाद उसने यूपी से बाहर निकलने का ताना-बाना रचा और धमकी के एक मुकदमे में पंजाब जेल शिफ्ट हो गया। हालांकि, योगी आदित्यनाथ सरकार ने उसे वापस लाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी।
Mukhtar Ansari Story: बारी-बारी से सब छोड़ गए मुख्तार अंसारी को, अगला नंबर किसका होगा?
इधर, यूपी पुलिस और एसटीएफ ने मुख्तार गैंग के शूटरों के ख़िलाफ़ अभियान और तेज़ कर दिया। 18 नवंबर 2019 को मुख्तार के करीबी और एक लाख के इनामी शूटर हरिकेश यादव को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। इसके करीब 10 महीने बाद राकेश पांडेय उर्फ हनुमान पांडेय लखनऊ में एसटीएफ की गोलियों का शिकार बना। कृष्णानंद राय हत्याकांड में इसका भी नाम शामिल था।
योगी सरकार ने मुख्तार के राजनीतिक-आर्थिक रसूख पर बुलडोजर चलाया, तो एसटीएफ और पुलिस ने मिलकर उसके गैंग और शूटरों का हौसला पस्त करना शुरू कर दिया। इस बीच मुख्तार के विरोधी गैंग भी हिसाब बराबर करने का मौका तलाशने लगे। इसका पहला शिकार बना मुख्तार गैंग का फाइनेंसर अजीत सिंह। मऊ में ब्लॉक प्रमुख रहे अजीत सिंह को 6 जनवरी, 2021 को लखनऊ के विभूतिखंड इलाके़ में गोलियों से भून दिया गया।
इधर, यूपी सरकार की सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई कामयाब हुई और 7 अप्रैल, 2021 को मुख्तार को यूपी की बांदा जेल लौटना पड़ा। वह चैन की सांस भी नहीं ले पाया था कि चित्रकूट की एक घटना ने उसका दिल दहला दिया। यूपी वापसी के पांच हफ्ते बाद ही चित्रकूट जेल में बंद मुख्तार के करीबी मेराज को गोलियों से छलनी कर दिया गया। मेराज गैंग के लिए असलहे और फंडिंग जुटाने का काम करता था। उसे कुछ साल पहले रायबरेली के पास पाकिस्तानी पिस्टल के साथ गिरफ्तार किया गया था।
यूपी में रची गई 400 से अधिक गोलियों की कहानी, मुख्तार अंसारी पर आरोप
मुख्तार गैंग के शूटरों का शिकार यही नहीं रुका। तीन महीने बाद 24 अगस्त 2021 को एक लाख के इनामी लालू यादव उर्फ विनोद को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। दो महीने बाद 27 अक्टूबर 2021 को एसटीएफ ने लखनऊ में हुई एक मुठभेड़ में दो और शूटरों, अलीशेर और कामरान उर्फ बन्ने का भी काम तमाम कर दिया
माफिया अतीक अहमद का चैप्टर अभी बंद भी नहीं हुआ था कि मुख्तार अंसारी का नया अध्याय खुल चुका है। शनिवार को गाजीपुर की MP/MLA कोर्ट ने मुख्तार को 10 साल की सजा सुनाई है।
गैंगेस्टर एक्ट का ये मामला 2007 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के दो साल बाद दर्ज किया गया था। यह केस राय की हत्या के बाद हुई आगजनी, बवाल और कारोबारी नंद किशोर रुंगटा के अपहरण-हत्या को आधार बनाते हुए पुलिस ने मुख्तार और अफजाल पर दर्ज किया था। अफजाल को भी 4 साल की कैद की सजा सुनाई गई है।
एक वक्त था जब 786 नंबर वाली खुली जीप पर सवार मुख्तार जिस सड़क से गुजरता था, लोग रास्ता बदल लेते थे। एक वक्त था जब योगी आदित्यनाथ पर हमले में मुख्तार का नाम आया था। एक वक्त था जब AK-47 से BJP विधायक पर करीब 400 राउंड गोलियां चलवाने के आरोप लगे।