Rajasthan Politics: Vasundhara Raje vs Princess Diya Kumari – मुख्यमंत्री के पद के लिए राज्य की राजकुमारी दीया कुमारी और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच मुकाबला होने की संभावना है। इस मुकाबले में व्यापक चर्चा के बीच, हाल ही में एक भाजपा नेता ने मुख्यमंत्री के संभावित चेहरों के बारे में चर्चा के दौरान टिप्पणी की थी कि मुख्यमंत्री कुर्सी में सबसे सुंदर चेहरा देखा जाएगा। यह सबसे सुंदर चेहरा महारानी दीया कुमारी का है, जो वर्तमान में महारानी ऑफ जयपुर के नाम से भी जानी जाती है।
राजस्थान में आगामी मुख्यमंत्री के पद के लिए एक रोमांचकारी टकराव देखने की संभावना है। राजकुमारी दीया कुमारी और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दोनों इस पद के लिए एक-दूसरे के मुकाबले में हैं। इस महत्वपूर्ण और राजनीतिक टकराव में, राजस्थानी जनता उन दोनों नेताओं की प्रदर्शन क्षमता, लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता को महत्वपूर्ण मान रही है।
यह टकराव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके परिणामस्वरूप, राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने का गर्व और मान दोनों नेताओं के लिए होगा। राजकुमारी दीया कुमारी, जो महारानी गायत्री देवी की पोती हैं, अपने परिवार के राजनीतिक विरासत में बड़ी चर्चा में हैं। वह भाजपा की लोकसभा सदस्य हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी गहन संबंध रखती हैं।
वसुंधरा राजे, जिन्हें “महारानी” के नाम से भी जाना जाता है, पहली महिला बनी रहती हैं। उनके नेतृत्व में बीजेपी ने राजस्थान में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। दोनों नेताओं के बीच एक राजनीतिक विरोध भी है, जो काफी गंभीर है।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव इस साल के अंत तक होने की संभावना है और इस बीच मुख्य मंत्री पद के लिए करीब आठ से दस नामों का उल्लेख किया जा रहा है। इस गोपनीयता में, क्या राजकुमारी दीया कुमारी या वसुंधरा राजे इस दौड़ में अग्रणी दांव, यह बाकी है।
इस मामले में अगर राजकुमारी दीया कुमारी बनी हैं, तो इसे वसुंधरा राजे का बड़ा हिस्सा जिम्मेदार माना जाएगा। वसुंधरा राजे ने पूर्व में दीया की राजनीति में आने का काम किया था, जब वह जयपुर के महाराजा परिवार की राजकुमारी थीं। हालांकि, इसके साथ ही उस वक्त राज्य सरकार और राजमहल होटल के बीच 23 साल की जमीन को लेकर विवाद उठा था।
राजस्थान में टकराव: राजकुमारी दीया बनाम वसुंधरा राजे, किसकी होगी मुख्यमंत्री की कुर्सी?
अपने समय में दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाओं में शामिल महारानी गायत्री देवी कभी राजस्थान की मुख्यमंत्री नहीं बन सकीं। लेकिन, अब उनकी पोती के मुख्यमंत्री बनने की संभावना है। हाल ही में बीजेपी के एक नेता ने मुख्यमंत्री के संभावित चेहरों की चर्चा के बीच टिप्पणी की थी कि सबसे सुंदर चेहरा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दिखेगा। यह सबसे सुंदर चेहरा राजकुमारी दीया का है, जिन्हें इस समय जयपुर की महारानी भी कहा जाता है।
राजकुमारी दीया वैसे महारानी गायत्री देवी की रिश्ते में पोती लगती हैं। इस समय राजसमंद से बीजेपी की लोकसभा सांसद हैं और हाल ही में उनकी एक तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वायरल हुई थी। इसमें मोदी बड़े अदब के साथ झुकते हुए महारानी दिया का अभिवादन करते देखे जा सकते हैं।
बीजेपी की राजकुमारी दीया कुमारी राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की प्रबल दावेदार के रूप में उभरीं
राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और मुख्यमंत्री की रेस में आधा दर्जन नाम चल रहे हैं। तो क्या इस रेस को सबसे सुंदर चेहरा जीत लेगा और दो बार मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे पिछड़ जाएंगी?
अगर ऐसा हुआ तो इसके लिए जिम्मेदार काफी हद तक ख़ुद वसुंधरा राजे ही होंगी। वैसे वसुंधरा राजे को महारानी के नाम से भी बुलाते हैं और ऐसा सुनना उन्हें अच्छा भी लगता है। दोनों राजघराने से हैं। दोनों राजपूत हैं, जो बीजेपी के परंपरागत रूप से वोटर रहे हैं। लेकिन, दोनों के बीच सियासी अदावत भी है। कहा जा रहा है कि अगर महारानी दीया मुख्यमंत्री बनीं, तो एक तरह से महारानी वसुंधरा से उनका पुराना हिसाब चुक जाएगा।
दिलचस्प बात है कि वसुंधरा राजे ही दीया को राजनीति में लेकर आई थीं, जो उस समय जयपुर राजघराने की राजकुमारी हुआ करती थीं। बात 2013 के विधानसभा चुनाव की है। वसुंधरा राजे को अपने सियासी दुश्मन डॉ. किरोड़ी लाल मीणा से बदला लेना था। लिहाजा सवाई माधोपुर विधानसभा सीट से मीणा के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने के लिए वसुंधरा ने राजकुमारी दीया को तैयार किया।
राजकुमारी दीया ने ग़रीबों की झोपड़ी में चूल्हे फूंक और रोटियां बेल कर अपना प्रचार किया और चुनाव जीत लिया। वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री बन गईं, लेकिन इसके साथ ही राजघराना बनाम राज्य सरकार के बीच का संपत्ति विवाद फिर सामने आया। राजघराने के राजमहल पैलेस परिसर की 13 बीघा ज़मीन को लेकर 23 साल साल पुराना विवाद। राजमहल पैलेस होटल के दरवाजों पर ताले जड़ दिए गए। बदहवास राजकुमारी दिया सरकारी बुलडोजरों के आगे अदालत के काग़ज़ात दिखाती नज़र आईं। जयपुर में राजघरानों, ठिकानेदारों को राजकुमारी दिया की मां महारानी पद्मिनी ने लामबंद किया।
राजकुमारी दीया कुमारी राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में आगे बढ़ीं
हैरानी की बात है कि वसुंधरा और जयपुर राजघराने के बीच इससे पहले संबंध मीठे रहे थे। मुख्यमंत्री रहते हुए वसुंधरा राजे ने 2007 में दशहरा उत्सव राजघराने के साथ मिलकर मनाया था। मकसद था मैसूर के दशहरा उत्सव जैसा कुछ करना, जहां शाही लवाजमा निकलता है और इस मौके पर हज़ारों की संख्या में सैलानी आते हैं। तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राजसी वेशभूषा में महारानी के रूप में अल्बर्ट हॉल पर शाही लवाजमे का स्वागत करती नज़र आई थीं। शाही बग्गी से महाराजा भवानी सिंह, महारानी पद्मिनी और राजकुमारी दीया का आना हुआ था। लेकिन, फिर ज़मीन विवाद पर ठन गई और संबंध बिगड़ते चले गए। संबंध इस कदर बिगड़े कि 2018 के विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे ने सवाई माधोपुर सीट से राजकुमारी दिया का विधानसभा चुनाव टिकट कटवा दिया।
यहीं वसुंधरा राजे से सबसे बड़ी चूक हो गई, जिस पर संभव है कि वह आज पछता रही हों। राजकुमारी दीया इस बीच सियासत के गुर सीख गई थीं। 2013 में जयपुर के सिटी पैलेस में वसुंधरा राजे ने ही राजकुमारी दिया का परिचय नरेंद्र मोदी से कराया था, जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे और बीजेपी के पक्ष में एक बड़ी रैली में भाग लेने आए थे।
तो, 2018 में राजकुमारी दिया का विधानसभा टिकट कटता है और मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बन चुके मोदी चाहकर भी राजकुमारी की मदद नहीं कर पाते। लेकिन, छह महीने बाद लोकसभा चुनाव में राजकुमारी दीया को राजसमंद से लोकसभा का टिकट मोदी के कहने पर ही दिया जाता है।
मेवाड़ जीतता है, वह राजस्थान जीतता है
कुल मिलाकर वसुंधरा राजे ने विधानसभा का टिकट काटकर एक तरह से राजकुमारी दीया का भला ही किया। तब तक राजकुमारी दीया महारानी हो चुकी थीं। पति महाराजा नरेंद्र सिंह से 21 साल की शादी सहमति से तलाक में बदल चुकी थी। बड़ा बेटा पद्मनाभन जयपुर राजघराने का महाराजा घोषित किया गया, तो छोटा बेटा लक्ष्यराज सिंह हिमाचल प्रदेश के सिरमौर नाहन राजघराने को गोद दिया जा चुका था। जयपुर, सवाई माधोपुर के बाद अब मेवाड़ में राजकुमारी दीया का दखल हो गया था। मेवाड़ राजघराने के जयपुर राजघराने से ऐतिहासिक रूप से संबंध बहुत अच्छे नहीं थे, क्योंकि 1576 की हल्दी घाटी की लड़ाई में महाराणा प्रताप के ख़िलाफ़ अकबर की सेना के सेनापति के रूप में जयपुर के राजा मानसिंह ने मोर्चा संभाला था। लेकिन, इसी मेवाड़ के राजसमंद से महारानी दीया सांसद बनीं, तो संबंध सुधरे।
यह संबंध भी काम आएंगे, क्योंकि माना जाता है कि जो मेवाड़ जीतता है, वह राजस्थान जीतता है। महारानी दीया सांसद के रूप में अपने कामकाज से मेवाड़ का दिल जीत चुकी हैं और सियासत का एक पड़ाव पार कर चुकी हैं। अगली मंजिल मुख्यमंत्री निवास ही होना चाहिए, ऐसा मानकर चला जा रहा है।
दीया कुमारी को मुख्यमंत्री बनाकर मोदी और अमित शाह वसुंधरा राजे से हिसाब कर सकते हैं चुकता
महारानी दीया को मुख्यमंत्री बनाकर मोदी और अमित शाह वसुंधरा राजे से हिसाब चुकता कर सकते हैं, जिन्हें दोनों पसंद नहीं करते। महारानी दीया से संघ को भी परहेज नहीं, क्योंकि जयपुर राजघराना कछवाहा राजपूतों का रहा है। ये श्रीराम के बेटे कुश के वंशज माने जाते हैं। पिता भवानी सिंह हालांकि कांग्रेस की तरफ से जयपुर लोकसभा सीट से एक बार चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें 1971 के भारत-पाक युद्ध में पराक्रम दिखाने के लिए याद किया जाता है। तब उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। यानी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद महारानी दीया के साथ है। राजपूतों की बेटी हैं। भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं। कुल मिलाकर साफ़ सुथरी छवि है। ऊपर से सुंदर चेहरा, जैसा कि एक बीजेपी नेता ने कहा था
दिलचस्प बात है कि अगर महारानी दीया को मुख्यमंत्री की रेस में बताया जा रहा है, तो उनके तलाकशुदा पति महाराजा नरेंद्र सिंह इन दिनों सवाई माधोपुर के चक्कर काट रहे हैं। कहा जा रहा है कि वह वहां से बीजेपी के ही टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। नरेंद्र सिंह सवाई माधोपुर के ही ईसरदा ठिकाने के हैं। राजकुमारी दीया के पिता भवानी सिंह के यहां सिटी पैलेस में नौकरी किया करते थे। इसी दौरान दीया से परिचय हुआ। शादी 1997 में हुई, तो भारी हंगामा हुआ। दोनों को भागकर शादी करनी पड़ी थी। कोटा से लेकर दिल्ली तक छिपना पड़ा था। दोनों एक ही गोत्र के थे, जिसका राजपूत बिरादरी विरोध कर रही थी।
मेरी बहुत अच्छी दोस्ती नरेंद्र सिंह के साथ रही है। नरेंद्र सिंह ने शाही संपत्ति को बड़ी कुशलता से संभाला। यहां तक कि दोनों पति-पत्नी ने महारानी गायत्री देवी के पोते देवराज और पोती लालित्या को पैतृक संपत्ति का हक़ दिलवाने में बड़ी भूमिका निभाई। इस पर बात करेंगे आगे और इस पर भी बात करेंगे कि कैसे महारानी दीया की दादा महारानी गायत्री देवी मुख्यमंत्री बनने से चूक गई थीं।